निचले असम के बजाली जिला अंतर्गत पाठशाला के प्रणव ज्योति तालुकदार और तिनसुकिया अंतर्गत बोरगुड़ी के देवराज सिंघा अपने पैतृक स्थान से दूर कॉरपोरेट क्षेत्र में कार्यरत थे। अचानक हुई मुलाकात के बाद दोनों साझेदार बन गए। दोनों का एक ही सपना था, अपना कुछ करने की की चाहत। दोनों ने अपने परिवार से व्यवसाय में इच्छुक रहने की बात छिपाई। जैसा कि अधिकतर मामलों में होता है, उनके परिवार भी सुरक्षित मानी जानेवाली कॉरपोरेट नौकरी को छोड़कर असुरक्षित मालिकाना वाले व्यवसाय में जाने के पक्ष में नहीं थे। फिर भी, उनके दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्हें लगा कि अब वह समय आ गया है।
वर्ष 2018 के एडवांटेज असम अधिवेशन के दौरान, जब असम सरकार ने राज्य में निवेश करने के लिए टीटी गारमेंट्स का आह्वान किया था, तब कंपनी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे आशा करते हैं कि फ्रैंचाइजी प्रारूप के तहत स्थानीय उद्योगी भी उनके लिए उत्पादन करेंगे। जिस समय यह पूरा प्रकरण हुआ, उस समय प्रणव और देवराज एक ही हॉल में मौजूद थे और फिर जो हुआ वह मानो इतिहास बन गया।
दोनों ने एक-दूसरे से उन भावनाओं का सम्मान करते हुए बात करने का फैसला किया, जो एक-दूसरे के लिए भीतर तक महसूस करते थे। उन्होंने फैसला किया कि क्यों न भविष्य में किसी बिंदु पर सहयोग करने के बजाय अब सहयोग किया जाए। इस तरह नोवेल टेक्सटाइल, उनका उद्यम अस्तित्व में आया।
प्रणब ने बताया, एक साथ शुरुआत करते हुए हमने टीटी गारमेंट्स के फ्रैंचाइजी के तौर पर उनके आवश्यकतानुसार पूर्वोत्तर भारत, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए उत्पादन कर रहे थे। बाद में, हमने बाजार की मांग को देखते हुए अपने नाम से टीशर्ट का उत्पादन शुरू कर दिया। इसके बाद हमने स्कूल यूनिफॉर्म तक अपने कारोबार का विस्तार किया और प्रिंटिंग सेट अप में निवेश किया। यह पहला ऐसा सेटअप था, जहां पूर्ण स्क्रीन प्रिंटिंग और टीशर्ट प्रिंटिंग की सुविधा उपलब्ध है।
हालांकि, अन्य व्यवसायों की तरह उन्हें भी कोविड-19 के दौरान कठिन दौर से गुजरना पड़ा। बातचीत के दौरान देवराज ने कहा, कोविड-19 ने हमें पीछे धकेल दिया। लेकिन हमने मास्क बनाने की जरूरत को एक मौके के तौर पर लिया। पूरे एक महीने तक हमने अपनी पूरी ताकत मास्क बनाने में लगा दी। उस दौरान पीपीई किट की मांग भी जोड़ों पर थी। लेकिन इस मांग को हम पूरी नहीं कर सकते थे क्योंकि इसके लिए लाइसेंस जरूरी था, जो हमारे पास नहीं था। अतः हम इस मौके का लाभ नहीं उठा पाए। सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, साथ ही साउथ इंडिया टेक्सटाइल एंड रिसर्च एसोसिएशन (एसआईटीआरए) तथा अन्य संगठनों से प्रमाणपत्र प्राप्त कर , आखिरकार जून तक, हमने पीपीई किट बनाना भी शुरू कर दिया। कोविड 19 के दोनों लहरों के दौरान हमने तकरीबन 80, 000 पीपीई किट का उत्पादन किया।
रेखा बोड़ो ने कहा, यह कंपनी अपने अंशधारकों का खास ध्यान रखती है जिनमें से एक हैं इसके कर्मचारी। मैं यहां 2020 से काम कर रही हूं। मैं अपने काम से खुश हूं। मैं अपने घर में भी आर्थिक योगदान कर रही हूं।
प्रणब ने कहा कि उभरते हुए उद्यमियों को यह समझने की जरूरत है कि व्यवसाय एक पौधे के सामान होता है जिसे विकसित होने में समय लगता है। जहां से हमने शुरुआत की थी, वहां से कई बार हमें निराशा हाथ लगी, लेकिन हमने धीरज बनाए रखा। साथ ही प्रणब ने कहा कि व्यवसाय के विकास के लिए नए नए तरीकों को आजमाना भी आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि आनेवाले समय में वे राज्य के अंदर तथा बाहर के उद्योगियों को फ्रैंचाइजी का प्रस्ताव देना चाहते हैं।
दोनों उद्यमियों का मानना है कि असम में वस्त्र तथा स्कूल यूनिफॉर्म का व्यवसाय बहुत कमजोर स्थिति में है। जबकि इसमें तो राज्य में बेरोजगारी की समस्या का समाधान तक करने की क्षमता है। यहां जरूरत है तो रोजगार मिलने के बजाय रोजगार के अवसर बनाने पर ध्यान देने की।