अरुणाचल प्रदेश के निचले दिबांग घाटी के नामसाई स्थित विश्व प्राचीन पारंपरिक सांस्कृतिक एवं धरोहर शोध संस्थान (आरआईडब्ल्यूएटीसीएच)पूर्वोत्तर भारत का बेहतरीन संग्रहालय है। नवनिर्मित यह संस्थान सह संग्रहालय न सिर्फ एक सुविधा है बल्कि लाभ रहित, गैर सरकारी, समुदाय आधारित शोध संस्थान है जो यह प्रदर्शित करता है कि सतत विकास के लिए मूल समुदायों का सांस्कृतिक सशक्तीकरण कितना जटिल है।
इसका उद्देश्य मूल समुदायों को सशक्त बनाना है ताकि वे अपने सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करते हुए सतत विकास पथ पर अग्रसर हो सकें।
क्षेत्र के वर्षों पुराने आदिवासी परंपराओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से की गई पहल आज इदु मिशमिस समेत स्थानीय जनजाति समुदायों की अनोखी जीवन शैली को आकर्षक रूप में प्रस्तुत करने का जरिया बन गया है।
इस संग्रहालय में स्थानीय लोगों द्वारा दान में दी गई सामग्री प्रदर्शित की गई है। यहां तक कि कुछ अवशेष तो स्वयं परमपावन दलाई लामा द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया है। इसके अलावा पुराने हथियार, अवशेष, पुरातात्विक प्रदर्शनी ,शिल्पकलाएं, पत्थर के गहने पुरानी तस्वीरें आदि भी देखी जा सकती हैं। इनमें 200 वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन एवं 80 साल पुराने पत्थर के बर्तन आकर्षण का विशेष केंद्र हैं। वहीं, एक छोटा पारिवारिक हाथकरघा और आदिवासी परिधान भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं।
ऐसे में जब विभिन्न स्थानीय मूल समुदायों की संस्कृति व प्रथाओं को दर्शाने के लिए असम में कई संग्रहालयों की स्थापना होने जा रही है, राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा इस संग्रहालय का दौरा काफी महत्व रखता है।
उन्होंने ट्वीट किया, अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न जनजातियों की कला संस्कृति की झलक को प्रस्तुत करते इस रिवाच म्यूजियम का दौरा कर मैं काफी प्रसन्न हूं। रिवाच संग्रहालय की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां प्रदर्शित की गई सामग्रियां स्वयं यहां की संबंधित समुदायों द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई गई हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 के नवंबर महीने में अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र(आईसीसीएस, यूएसए) की एक परियोजना के तौर पर रिवाच की स्थापना हुई थी। तभी से इसमें और भी विकल्पों को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है:
- पूर्वोत्तर भारत एथनोग्राफिक संग्रहालयः
- स्वतंत्र शोध कुटीर जहां एक साथ बीस शोधार्थी रह सकते हैं।
- 80 औषधीय पौधों का बागान
- ऑडियो विजुअल सहित अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस प्रलेखन केंद्र निर्माणाधीन।
- प्रेक्षागृह, मूल समुदायों के साथ रहने की सुविधा।
रिवाच को संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (यूएनयू- आईएएस) द्वारा क्षेत्रीय शिक्षा केंद्र के तौर पर भी मान्यता दी गई है। इसके साथ ही दक्षिण फ्लोरिडा के विश्वविद्यालय के साथ इसके विदेशों में शिक्षा कार्यक्रम भी वर्ष 2014 से प्रत्येक वैकल्पिक वर्ष जारी है । इतना ही नहीं, यह संस्थान संयुक्त राज्य के अन्तर्राष्ट्रीय कला अध्ययन केंद्र का मान्यताप्राप्त इकाई भी है।
स्थानीय जनजातियों के ज्ञान को शैक्षिक मंच पर लाने का अनूठा प्रयास, रिवाच को खास बनाता है। यहां सभी शोधार्थी को स्थानीय मूल जनजातियों से संवाद करने का मौका मिलता है।
सीधे तौर पर कहा जाए तो रिवाच की यह पहल समृद्ध संस्कृति की सजीव प्रयोगशाला तक पहुंच को आसान बनाती है।