7 जून, 2022 की सुबह 10 बजे। भंवरी देवी सरावगी राजकीय उच्च माध्यमिक श्रवण बाधित विद्यालय, गुवाहाटी में खुशी का माहौल है। कुछ ऐसा ही माहौल श्रीमंत शंकर मिशन ब्लाइंड हाई स्कूल, नगांव; गुवाहाटी ब्लाइंड हाई स्कूल, और जोरहाट ब्लाइंड इंस्टीट्यूट में भी है। इन स्कूलों ने अपने छात्रों और समर्पित शिक्षकों की बदौलत ट्रेंड को पूरी तरह से बदलते हुए एचएसएलसी परीक्षाओं में शत-प्रतिशत परिणाम हासिल किया है।
इन स्कूलों के सितारे दीपेश, सलमा, लक्ष्मण, और जूनमोनी और उनके जैसे कई अन्य हैं। कुछ समय के लिए इन छात्रों के लिए भी जैसे दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। उन्होंने अपने जीवन की पहली बड़ी बाधा ऐसे समय में पार कर ली है जब उनसे इतर बहुसंख्यक लाखों की संख्या में इस बाधा को पार करने में असफल रहे हैं। ये शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहे दिव्यांग छात्र हैं, इस चुनौती का इन्हें दिन-ब-दिन सामना करना पड़ता है और फिर भी, इन्होंने कभी हार नहीं मानी। लगभग शत प्रतिशत परिणाम प्राप्त करना, वह भी कोविड के बाद के चरण में, यकीनन ये एक कठिन कार्य था, जिसे उन्होंने आसान बना दिया है। हां, उन्हें भी कोविड की समस्या से पैदा हुए लॉकडाउन, ऑनलाइन क्लास जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने शिक्षकों, माता-पिता और तकनीक की मदद से इन समस्याओं से पार पा लिया।
गुवाहाटी में बीडीएस स्कूल के शिक्षक हरमाबा कुमार दास कहते हैं, ”असम सरकार, सर्व शिक्षा अभियान और समाज कल्याण विभाग के अलावा हमारे शिक्षकों, छात्रों और उनके माता-पिता सभी ने मिलकर इस उपलब्धि को हासिल किया है।” उन्होंने आगे बताया कि ”हम व्याख्यान रिकॉर्ड करते थे और उन्हें इन छात्रों को सांकेतिक भाषा में भेजते थे, जबकि उनके नोट्स हम उन्हें वॉट्सएप पर भेजे देते थे।” उनका कहना है कि हर साल जिस तरह से छात्रों की संख्या बढ़ रही है, उसके साथ स्कूल को इस तरह का बेहतर प्रदर्शन जारी रखने के लिए अच्छे बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी।
1949 में स्थापित इस स्कूल के छात्र दीपेश चंद्र रॉय ने दो विषयों में लेटर मार्क्स हासिल किए और स्टार मार्क्स के साथ उत्तीर्ण हुए। वो प्री-प्राइमरी के दिनों से ही स्कूल के हॉस्टल में रह कर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनकी मां अनीता उनके शिक्षकों और सरकार की प्रशंसा करती नहीं थकतीं। वह कहती हैं कि ”अगर सरकार इन छात्रों का सहयोग करना जारी रखती है, तो मुझे यकीन है कि दीपेश जैसे कई और लोग अलग-अलग विषयों में बेहतरीन प्रदर्शन करते नजर आएंगे।”
दीपांकर का परिणाम लगभग उसकी सहपाठी सलमा से मिलता-जुलता है। उसने एक विषय में लेटर मार्क्स प्राप्त किया और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुईं। बरपेटा जिले के कोलगछिया की रहने वाली सलमा एक अच्छी कलाकार भी हैं। उनके पिता ड्राइवर हैं, जबकि मां साजेदा खातून गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी बेटी की उपलब्धि का श्रेय उसके शिक्षकों के समर्पण को दिया। इसी स्कूल की आफरीन अहमद ने बुनाई और टेक्सटाइल डिजाइन पेपर में राज्य में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए हैं।
गुवाहाटी ब्लाइंड हाई स्कूल की प्रिंसिपल निरुपमा भट्टाचार्य ने अपने स्कूल के परिणामों का विश्लेषण करते हुए कोविड के दौरान आने वाली चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि “चूंकि दृष्टिबाधित छात्र अपनी शिक्षा के लिए ब्रेल पर निर्भर हैं और कोविड के चलते उन्हें ये सुविधा उपलब्ध कराना मुमकिन नहीं था। इसलिए उनके पाठों को ऑडियो रिकॉर्ड किया गया और इस रिकॉर्डिंग को उनके वॉट्सएप ग्रुप में भेजा गया। यह सब मेरे सहयोगियों के अथक समर्पण और अभिभावकों के समर्थन के बिना संभव नहीं था।” वो कहती है, ”हमारे पिछले बैच के परिणामों ने भी इन छात्रों के लिए प्रेरणा का काम किया है।”
लक्ष्मण कुमार मिश्रा ने परीक्षा में कुल मिलाकर 80 फीसदी स्कोर किया। इसके अलावा उन्होंने चार विषयों में लेटर मार्क्स हासिल करके स्कूल को गौरवान्वित किया। उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई के लिए उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान को चुना है। वह अपनी आवाज में बड़े धैर्य के साथ असोम वार्ता से कहते हैं, “मुझे पता है कि विज्ञान की पढ़ाई के दौरान मेरे जैसे दृष्टिबाधित लोगों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अगर संस्थागत समर्थन और आसपास के लोग साथ देते रहें तो मैं ये कर सकता हूं।”
हालांकि, जोनमोनी दुआरा एक खास छात्रा है। उसके क्लास में उनके जैसा कोई नहीं है। वह जोरहाट ब्लाइंड स्कूल से मैट्रिक में शामिल होने वाली एकमात्र छात्रा थी। फिर भी इससे उनके प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने दो विषयों उन्होंने दो विषयों में लेटर मार्क्स हासिल किए और स्टार मार्क्स के साथ परीक्षा पास किया। उनका ये परिणाम राज्य के इन विशेष छात्रों के धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी में एक नया अध्याय जोड़ता है।
सौ फीसदी परिणाम वाले स्कूल
भंवरी देवी सरावगी सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय श्रवण बाधितों के लिए
श्रीमंत शंकर मिशन दृष्टिबाधित स्कूल, नगांव
गुवाहाटी दृष्टिबाधित स्कूल
जोरहाट दृष्टिबाधित इंस्टीट्यूट स्कूल
जन मंगल आदर्श दृष्टिहीन स्कूल, मोरान
असम दृष्टिहीन स्कूल, बिहपुरीया
सेबा के अंतर्गत स्कूलः 7016
विशेष स्कूलः 6 (चार सरकारी और दो निजी)
574 दिव्यांगों ने एचएसएलसी परीक्षा दी
447 दिव्यांगों ने परीक्षा पास की