असम की बाढ़ निःसंदेह अनकहे दुखों की गाथा है… लेकिन इस भयंकर त्रासदी से निपटने में कई केंद्रीय एजेंसियां एक साथ आगे आई हैं। ये एजेंसियां बचाव व राहत मिशनों को पूरा करने में अपना पूर्ण योगदान दे रही हैं। एनडीआरएफ तो बारहों महीने असम में राहत व बचाव कार्य के लिए उपलब्ध रहती है, लेकिन इस साल बाढ़ में उसके अलावा सीआरपीएफ, बीएसएफ, भारतीय वायुसेना, सेना, असम राइफल्स और भारतीय रेलवे बचाव अभियान में सहभागी बनी हैं। प्रदेश के 34 जिलों में 80 लाख के करीब लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और ये सरकारी एजेंसियां इन लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और राहत पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
बेमौसम बाढ़ और मूसलाधार बारिश ने जहां लोगों को चौंका दिया, वहीं इन केंद्रीय एजेंसियों ने बचाव अभियान में राज्य सरकार को हर संभव मदद करना जारी रखा। एनडीआरएफ ने राज्य में 26 टीमों को तैनात किया है, जिसमें एक पूर्ण महिला टीम भी शामिल है, जो पिछले बचाव अभियानों में नहीं देखी गई थी। मई के बाद जब पहली बार असम में बाढ़ आई तो एनडीआरएफ ने 21,000 से अधिक लोगों को निकाला।
अथरा गांव के भेनीपाड़ा चुबुरी की तरुबाला दास कहती हैं, मेरे परिवार के सदस्यों को एनडीआरएफ के जवानों ने बचाया। हमें एनडीआरएफ कर्मियों द्वारा एक नाव में कमलपुर ले जाया गया। तरुबाला और एनडीआरएफ द्वारा बचाये गए अन्य लोगों को कामरूप जिला प्रशासन द्वारा खोले गए बाढ़ राहत शिविर में स्थानांतरित कर दिया गया है।
भारतीय वायु सेना ने असम और पड़ोसी मेघालय में बाढ़ प्रभावितों को बचाने के लिए 74 उड़ाने भरीं। उसने नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय करते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत और आपूर्ति प्रदान करने के लिए सी-130जे सुपर हरक्यूलिस, एएन-32 परिवहन विमान, एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, ध्रुव और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। भारतीय वायुसेना ने दक्षिणी असम, विशेष रूप से कछार जिले में राहत और बचाव मिशन में सहायता के लिए असम राइफल्स की श्रीकोना बटालियन के साथ भागीदारी की है। 21जून को एनडीआरएफ के 100 से अधिक कर्मियों को भुवनेश्वर से सिलचर के लिए एयरलिफ्ट किया गया था। दक्षिणी असम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 1.8 लाख लीटर डीजल और पेट्रोल को भी सिलचर पहुंचाया गया।
बाढ़ के विकराल रूप लेते ही राज्य सरकार जैसे ही हरकत में आई, केंद्र भी सक्रिय हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम को हरसंभव मदद का आश्वासन देने के लिए ट्वीट किया, जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने राहत और बचाव रणनीति पर असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा से दो बार बात की। बाढ़ और बारिश की तीव्रता का अंदाजा दीपाली दास समेत अन्य लोगों को हुए नुकसान से लगाया जा सकता है। (बॉक्स देखें)
कामरूप जिले के रंगिया अनुमंडल के गर भिटोर गांव की दीपाली (55) के लिए शुक्रवार 16 जून की रात एक बुरा सपना बन गई। असम वार्ता को उस घटना की भयावहता बयां करते हुए दीपाली ने बताया, ‘मेरे घर में सब कुछ बाढ़ के पानी में बह गया।’ उनकी तरह उनके सैकड़ों गांव वाले रंगिया कस्बे में एनएच 31 के पास फातिमा कॉन्वेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल में शरण लिए हुए हैं। वह बताती हैं कि उन्हें यहां प्रशासन द्वारा लाया गया है। यहां दवाओं के अलावा दोनों वक्त का खाना भी मिल रहा है।
कामरूप जिले के पुथिमरी के अतसारा गांव के जितेन कालिता कहते हैं, उस दिन मेरा घर बाढ़ के पानी में डूब गया था। हम किसी तरह अपने आप को डूबने से बचाने में सफल हुए। बाइहाटा से उड़ियाना (लगभग 25 किलोमीटर की दूरी) तक हजारों लोग एनएच 31 के दोनों किनारों पर अस्थायी शिविरों में हैं, क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा खोले गए राहत शिविर पूरी तरह भरे हुए हैं।
दरंग जिला प्रशासन ने फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए सेना की मदद मांगी। जिले की एडीसी जिंटी डेका कहती हैं, ‘बाढ़ राहत की कोई कमी नहीं है। एनडीआरएफ की तीन और एसडीआरएफ की दो टीमों के
अलावा, हमने सेना से फंसे हुए लोगों को निकालने का अनुरोध किया।’ रेलवे ने विशेष रूप से निचले असम के साथ-साथ दक्षिणी असम में जहां सड़क संचार बुरी तरह प्रभावित हुआ, वहां के लिए स्वेच्छा से राहत सामग्री के साथ ट्रेन सेवाओं को चलाया है।