केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हालिया यात्रा, जिसके बाद भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की असम और त्रिपुरा की यात्रा हुई। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नगालैंड और मेघालय की यात्रा ने एक बार फिर केंद्र के लिए इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया है। वे दिन गए, जब पूर्वोत्तर (सात बहनें) किसी भी चीज की तुलना में वित्तीय पैकेज की उम्मीद में एक हाई प्रोफाइल यात्रा की प्रतीक्षा करता था। अब, पूर्वोत्तर केंद्र सरकार समग्र योजना का अहम हिस्सा है।
महत्वपूर्ण नेता यहां न केवल आ रहे हैं बल्कि बार-बार ऐसा कर रहे हैं जैसे कि यह उनका यह नियमित काम हो। जहां गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों और सभी राज्यों के शीर्ष अधिकारियों से नशीले पदार्थों और इससे अर्जित अवैध धन के खिलाफ अपनी लड़ाई में अधिक समन्वय की मांग की, वहीं राष्ट्रपति की यात्रा को विकास योजनाओं की एक शृंखला द्वारा चिह्नित किया गया था। तथ्य यह है कि यह पहली कुछ यात्राओं में से एक है जो उन्होंने देश में सर्वोच्च पद संभालने के बाद की है, इसने सभी को एक बहुत स्पष्ट संकेत दिया है कि यह क्षेत्र नई दिल्ली के लिए अहम है। यह मान लेना गलत होगा कि केंद्र का मौजूदा दृष्टिकोण पिछली सरकारों द्वारा इस क्षेत्र की अनदेखी की क्षतिपूर्ति है। वास्तव में केंद्र इस क्षेत्र में निवेश नये विकास केंद्र के तौर पर कर रही है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी अष्ट लक्ष्मी कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से असम और उसके पड़ोसियों के बीच लंबित सीमा विवादों को हल करने के लिए सुविधाजनक माहौल तैयार कर रहा है। यह न केवल भरोसे में वृद्धि के उपाय के रूप में कार्य करेगा, बल्कि यह विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए राज्यों के बीच अधिक समन्वय की राह को बाधा रहित करेगा। इसके साथ ही यह निवेशकों के लिए इस क्षेत्र में आने और इसकी क्षमता का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।