नगांव जिले की मामू बोरा असम पुलिस की वीरांगना शाखा की एक कांस्टेबल थी। बहुत छोटी उम्र से ही संगीत और नृत्य में उसकी विषेश रुचि थी, हालांकि उसे कभी अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर नहीं मिला। फिर भी, जब भी मौका मिलता वह बिहू और सत्रीया नृत्य तथा आधुनिक गीतों पर अपना हुनर दिखाती थी।
अपने प्रशिक्षण के दौरान, वह पुलिस बैंड को देखकर मचल जाया करती थी। लेकिन उसे इसका हिस्सा बनने का मौका कभी मिला नहीं; क्योंकि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ ) के बहुत कम राज्य पुलिस बल के पास ही महिला बैंड था। लेकिन भाग्य का पहिया आखिरकार उसकी ओर घूमा, जब वर्ष 2021 में तत्कालीन विशेष डीजीपी (टी एंड एपी) एल आर बिशनोई (वर्तमान मेघालय डीजीपी), तथा असम पुलिस के डीजीपी, भास्कर ज्योति महंत के बीच हुए विचार-विमर्श के बाद असम पुलिस ने एक महिला बैंड गठित करने का निर्णय लिया। एक ऐसी इकाई के गठन की जिम्मेदारी दी गई भारतीय सेना के सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर तथा 10वें असम पुलिस बटालियन बैंड मास्टर अजित गोगोई को।
गोगोई ने कहा, हमलोग काफी समय से एक महिला बैंड की योजना बना रहे थे। हमारे बटालियन में एक पुरुष ब्रास बैंड यहां तक कि पाइप बैंड भी था। ये बटालियन विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया करते थे। इस दौरान हमने संगीत व नृत्य में अपने बटालियन की महिलाओं की प्रतिभा देखी। उनकी क्षमता को देखते हुए हमने उन्हें पुरुषों के सदृश खड़ा करने के लिए महिला बैंड बनाने का निर्णय लिया।
उन्होंने बताया, जिस दिन मुझे महिला बैंड के गठन का निर्देश मिला, उसी दिन मैंने इच्छुक उम्मीदवारों के बारे में पूछते हुए सभी बटालियनों को लिखा। मुझे 34 जवानों से उत्तर मिला। हमारे डीजीपी ने इसे ‘सुरंजना’नाम दिया। यह एक ब्रास बैंड है। गोगोई ने आगे कहा, हमने दिसंबर 2021 से अभ्यास शुरू किया। जिस दिन मुझे पता चला कि असम पुलिस महिलाओं के लिए एक बैंड का गठन कर रही है मैंने उसमें सुरंजना बनने का निर्णय लिया। साथ ही मामू ने इस संवाददाता को बताया कि इस समूह में वह शहनाई बजाती है।
कोकराझाड़ की देबोश्री रॉय इस बैंड की एक सदस्य है। पूर्व में वह 24 एपी संरक्षित बटालियन के कांस्टेबल के तौर पर बाक्सा के चराईमारी में कार्यरत थी। बातचीत के दौरान देबोश्री ने बताया, जब मुझे इस बैंड के गठन के बारे में पता चला तब मैंने एक पुलिस कांस्टेबल के कर्त्तव्यों के साथ ही अपने जीवन में एक नया आयाम जोड़ने का निर्णय लिया। मेरी रुचि गाना है, लेकिन मैंने कभी कोई वाद्ययंत्र नहीं बजाया। ऐसे में बैंड में सैक्सोफोन बजाना मेरे लिए कुल मिलाकर एक नया अनुभव है।
कांस्टेबल सोनिया खातून को भी बचपन से ही संगीत से लगाव था। सुरंजना में उन्होंने खुदको ड्रम से जोड़ा। उन्होंने प्रफुल्लित अंदाज में कहा, एक बैंड सदस्य होने पर मुझे गर्व है। यह अभूतपूर्व है। हमारी प्रस्तुति के बाद जब लोग हमारी तारीफ करते हैं, तो जैसे मानो मेरी दुनिया बदल जाती है।
10वें असम पुलिस बटालियन के दूसरे बैंड मास्टर प्रसन्न राजवंशी ने कहा कि सुरंजना से जुड़े सभी सदस्यों के लिए यह पहला अनुभव था। उन्होंने असम वार्ता को बताया, सामान्य तौर पर यह 18 महीने का कोर्स है, जिसे करने के बाद कोई भी कहीं भी ऐसे किसी बैंड का हिस्सा बन सकता है। हालांकि, हमारे पास इतने समर्पित सदस्य हैं जिन्होंने केवल तीन महीने में खुद को मंच के योग्य बना लिया। सुरंजना ने अब तक असम पुलिस दिवस, नई दिल्ली में लाचित दिवस, पानीखाईती में होमगार्ड्स प्रशिक्षण केंद्र और गुवाहाटी में असम पुलिस अधिकारियों के मेस में प्रदर्शन किया।
डीजीपी ने कहा, कई सरकारी कार्यक्रमों में उन्होंने किसी पेशेवर की तरह प्रस्तुति दी। जिस तरह से वे प्रगति कर रहे हैं उससे मैं काफी खुश हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी गानों के प्रदर्शन में भी बैंड दिनोंदिन बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है। इस बैंड का हिस्सा बनने का अर्थ है निरंतर अभ्यास न कि केवल एक बार का मामला। उन्होंने आगे बताया, सभी बटालियनों के लिए एक समर्पित बैंड तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। यह सूचना काकोलो कृष्ण बोरा, सोनाली रॉय, देबाश्री रॉय, चंदना गोगोई और उनके जैसी अन्य सुरंजनाओं के लिए किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है।