धुबड़ी से सदिया तक और सिलचर से जोनाई तक, असम नाच रहा है, गुनगुना रहा है। एक स्थान पर आप भूपेन दा और रवीन्द्र नाथ टैगोर के मधुर गीतों को सुन सकते हैं, दूसरे स्थान पर ज्योति प्रसाद और बिष्णु राभा के गीतों से मंत्रमुग्ध हो सकते हैं। यदि यह पर्याप्त नहीं है, तो बिहू और अन्य लोक नृत्य आपको थिरकने पर मजबूर कर देगा।
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असम सरकार की सांस्कृतिक महासंग्राम पहल बिल्कुल यही प्रयास कर रही है, जो 10 नवंबर से शुरू होगा और 7 फरवरी, 2024 तक जारी रहेगा। बेशक, पहल का प्रभाव तारीख से काफी आगे तक जाएगा।
चराइदेव जिले के सोनारी के वार्ड नंबर 7 के अरमान रहमान का उदाहरण लें। एक महीने से भी अधिक समय से, जिस दिन उन्हें महासंग्राम के बारे में पता चला, अरमान लगातार भूपेन्द्र संगीत, ज्योति संगीत और बिष्णु राभा की धुनों का अभ्यास कर रहे हैं। उनका मिशन चयनित होकर फरवरी में राज्य स्तर पर इन संगीत विधाओं का प्रदर्शन करना है। अरमान ने असम वार्ता को बताया, यह मेरे जैसे लोगों के लिए एक मंच है। मैं कक्षा तीन से संगीत सीख रहा हूं। मैं भाग्यशाली हूं कि मैं ऐसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिस्पर्धा करूंगा।
25 अक्तूबर से 25 नवंबर तक, असम विभिन्न स्तरों पर छह श्रेणियों में इन प्रतियोगिताओं के पहले चरण की मेजबानी करेगा (कृपया बॉक्स देखें)। इसको लेकर उत्साह सातवें आसमान पर है। डिब्रूगढ़ में चिरिंग सापोरी के पोपी सैकिया को ही लीजिए। वह और उनके जैसे अन्य उत्साही लोग अपने बच्चों के पंजीकरण के लिए अतिरिक्त जिला आयुक्त के पास पहुंचे। पोपी ने इस संवाददाता को बताया, हमारी टीम को “टिनी” कहा जाता है। ताई भाषा में इसका मतलब लड़की होता है। हमें राज्य स्तर पर आगे बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने बताया, बिहू नृत्य के अलावा, हम हाजोंग गीत पर नृत्य करेंगे। हमारे बच्चे ताई-आहोम और तिवा नृत्य का भी अभ्यास कर रहे हैं।
कश्मीरी पात्रा डिब्रूगढ़ के एमडीके कॉलेज की छात्रा हैं। वह गोरुधोरिया पटेया गांव की रहने वाली है। जब से उन्हें सांस्कृतिक महासंग्राम के बारे में पता चला तब से वह बिष्णु राभा के ‘लेगॉन उकोली गोल’ का रोजाना अभ्यास कर रही हैं।
शोणितपुर जिला संगीत और नृत्य से समान रूप से गुलजार है। काफी संख्या में शौकीनों ने अपना पंजीकरण कराया है। उनमें से एक महर्षि विद्यामंदिर की नौवीं कक्षा की छात्रा क्रिस्टी बरठाकुर हैं। उन्होंने कहा, मैं महासंग्राम से बहुत सी चीजें सीखने के लिए उत्सुक हूं। मेरे लिए विचार इसे जीतना नहीं बल्कि अपने संगीत कौशल में सुधार करना है। इसी तरह, दरंग कॉलेज की ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा नियोरकोना बोरा, जिसे अखिल असम-स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने का कुछ अनुभव है, ने कहा कि वह गीत अनुभाग की सभी श्रेणियों में भाग ले रही है।
असम के बरपेटा जिले में हाउली दशकों से निचले असम का सांस्कृतिक केंद्र रहा है। यहां बर्णाली कर्माकर (12) सप्तसंगीत स्कूल की छात्रा है। उन्होंने पहले से ही अपने पसंदीदा गाने चुन लिए हैं, जिन्हें वह महासंग्राम के दौरान पेश करेंगी। बर्णाली की मां रीता ने इस पत्रिका को बताया, उसे संगीत में बहुत रुचि है। स्थानीय लोग भी उसकी प्रतिभा से प्रभावित हैं। इस तरह का अवसर उसके लिए अपनी पहचान बनाने का एक मंच होगा।
10 अक्तूबर को, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा द्वारा निर्णायकों के लिए बनाए गए लोगो, पोर्टल, प्रतीक, जिंगल, किट का अनावरण किया गया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि विधायकों को सलाह दी गई है कि वे अपनी विधायक निधि का 10% तक इस प्रमुख सांस्कृतिक पहल और खेल महारण पर खर्च करें।
अपनी तरह की इस अनूठी सांस्कृतिक पहल का लक्ष्य 10 लाख प्रतिभागियों के जीवन को छूना है, जिसमें राज्य सरकार असम में 3,000 स्थानों पर प्रतियोगिता के विभिन्न चरणों का आयोजन करके 30 करोड़ रुपये खर्च करेगी। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता गुवाहाटी में आयोजित की जाएगी, जबकि ग्रैंड फिनाले 7 फरवरी को होगा।
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