असम सरकार के तत्कालीन उद्योग व वाणिज्य मंत्री और एक अनुभवी राजनेता चंद्रमोहन पटवारी कहते है, वह रात का वक्त था, जिसे कि वह कभी नहीं भूलेंगे। देर रात लगभग 1.30 बजे, हम मुआवजे के पैकेज पर हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन के मजदूर संघ के साथ बातचीत कर रहे थे। हम एक समझौते पर पहुंचे। मैंने इस बारे में मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा को सूचित किया, जिन्होंने मुझे सौदे को अंतिम रूप देने के लिए कहा था। उस वक्त सुबह के करीब 5.30 बजे थे। मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर कर दिए। मैं हैरान रह गया। एक मुख्यमंत्री सफलता हासिल करने और आगे बढ़ने के लिए एक बार में 800 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार थे। 40 साल से अधिक के अपने राजनीतिक जीवन में मैंने कभी किसी मुख्यमंत्री को इतना दृढ़ निश्चयी नहीं देखा, खासकर जब दांव इतना बड़ा हो।
ये बातें पटवारी ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में बंद पड़े हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल के पूर्व कर्मचारियों को राहत पैकेज के वितरण समारोह के दौरान कहीं।
असम के मुख्यमंत्री की इस निर्णायक कार्रवाई से दोनों मिलों के लगभग सभी 2,751 कर्मचारियों आंखें खुशी से छलक आईं, जिनमें दोनों मिलों के 748 संविदा कर्मचारी भी शामिल हैं। उनमें से एक अब्दुल नूर की बेटी नाजमीन सुल्ताना थी, अब्दुल की 2021 में कैंसर से मृत्यु हो गई थी।
नाजमीन ने असम वार्ता को बताया, 2017 में मिल बंद होने के बाद, हमें घर चलाने और उनके इलाज पर अपनी बचत खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमने कुछ ही समय में अपनी बचत समाप्त कर दी। हमें उनका इलाज रोकना पड़ा। जब मेरे पिता का देहांत हुआ तब मैं एलएलबी अंतिम वर्ष की छात्रा थी। असम सरकार द्वारा हमें दिया गया वित्तीय पैकेज हमारे लिए एक नई शुरुआत है।
एक अन्य लाभार्थी है नगांव पेपर मिल के पूर्व चिकित्सक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा, वह बताते हैं, नगांव पेपर मिल के कर्मचारियों के साथ मेरा भावनात्मक लगाव है। मैं वहां 1995 से 2017 तक था। परेशानी 2012 में शुरू हुई जब प्रबंधन ने समय पर वेतन जारी करने में डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया। मैं भाग्यशाली था कि सिर्फ मेरी एलआईसी पॉलिसियों में डिफॉल्ट हुई। कुछ को अपने गहने बेचने पड़े, । अब डॉक्टर सिन्हा असम कैंसर केयर फाउंडेशन के कोकराझार अस्पताल में तैनात हैं।
असम सरकार के इस मानवीय पहल के परिणामस्वरूप राजकोष से 810.02 करोड़ रुपये का व्यय होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. विश्व शर्मा ने कहा कि असम सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से मिलों के संचालन न होने के कारण पूर्व कर्मचारियों, कामगारों और उनके परिवारों को होने वाली कठिनाई को देखते हुए यह कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा,
जब राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, तो हमने कई कदम उठाए जैसे कि मुफ्त बिजली, पूर्व कर्मचारियों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करना आदि। जब हम दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए तो पूर्व कर्मचारियों के परिवारों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन के बाद दोनों पेपर मिलों को खरीदने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनसमूह को बताया कि इस बीच की अवधि के दौरान राज्य सरकार ने दोनों पेपर मिलों के कर्मचारी संघ के साथ कई दौर की चर्चा की और कर्मचारियों और कामगारों को शुद्ध वेतन और मजदूरी का भुगतान करने का निर्णय लिया, जो कि मिल के बंद होने तक बकाया थे। जबकि योग्य कर्मचारियों को राज्य सरकार में नौकरियां भी दी गईं।
उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार कछार पेपर मिल की भूमि पर एक नई पेपर मिल खोलने के लिए प्रयास करेगी, जबकि नगांव पेपर मिल की भूमि का उपयोग राज्य की राजधानी क्षेत्र के विस्तार के लिए किया जाएगा।
डॉ विश्व शर्मा ने कहा कि इस राहत पैकेज के तहत 25 करोड़ रुपये के परिव्यय से एक ट्रस्ट बनाया जाएगा। ये ट्रस्ट पूर्व कर्मचारियों और कामगारों के चिकित्सा लाभ, शैक्षिक सहायता, सामाजिक सहायता आदि के लिए उपयोग किया जाएगा।
दिसपुर ने राज्य सरकार में मिलों के 84 पात्र पूर्व कर्मचारियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 66 कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटे।