शीला ग्वाला, एक आशा कार्यकर्ता ने कोविड के दौरान जबर्दस्त काम के दबाव को झेला। उन्हें एक अजीबोगरीब समस्या का सामना भी करना पड़ा। वह एक यौन अपराध की पीड़ित किशोरी और उसकी बौद्धिक रूप से अक्षम मां से मिलीं। शीला के पास ऐसे सवाल थे जिनका जवाब उसकी अंतरात्मा ही दे सकती थी। उसने अपने दिल की सुनी और किशोरी व उसकी मां को अपने घर ले आई। उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार उनकी देखभाल की। आशा अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों और अपने स्वास्थ्य सहयोगियों से मदद लेने से कभी नहीं शर्माती थीं। कुछ माह बाद किशोरी ने एक बच्चे को जन्म दिया।
अपने सारे अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने एक ही समय में लड़की की मां और उसके नवजात बेटे की इस कदर देखभाल की कि वे स्वास्थ लाभ कर सके। लेकिन उनकी यह कोशिश किसी से छिपी नहीं रही। असम सरकार ने मानवता के प्रति उनके निःस्वार्थ समर्पण को महसूस करते हुए उन्हें असम गौरव के रूप में चुना। जोबोका टी एस्टेट के आसपास काम करने वाली एक मितभाषी शीला कहती हैं, मैं 2006 से आशा कार्यकर्ता हूं। मैं अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग लोगों से मिली हूं। अनुभव भी विभिन्न प्रकार के हैं। हालांकि, कोविड के दौरान का समय एक असाधारण चुनौती वाला था और उसमें भी यह प्रकरण हम सभी के लिए बहुत दुर्लभ था। मैंने उसकी गर्भावस्था का ख्याल रखा। वह केवल 13 वर्ष की थी। उसके प्रसवोत्तर चरण के दौरान चुनौतियां अलग थीं। लेकिन चिकित्सा नियमों के दायरे में रहते हुए हम कामयाब रहे। मेरे रिश्तेदारों, पड़ोसियों और स्वास्थ्य सहयोगियों की बदौलत मां और उसका बेटा ठीक हैं। मैं उन सभी की बहुत आभारी हूं।

जब असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने 4 जनवरी को घोषणा की कि असम सरकार ने कैंसर के इलाज में योगदान के लिए मुंबई स्थित चिकित्सक डॉ. तपन सैकिया को सर्वोच्च राज्य नागरिक पुरस्कार ‘असम बैभव’ से सम्मानित करने का फैसला किया है, तो उनके जेहन में शीला जैसी गुमनाम नायकों का भी ख्याल था।
मैं 2006 से आशा कार्यकर्ता हूं। मैं अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग लोगों से मिली हूं। अनुभव भी विभिन्न प्रकार के हैं। हालांकि, कोविड के दौरान का समय एक असाधारण चुनौती वाला था और उसमें भी यह प्रकरण हम सभी के लिए बहुत दुर्लभ था। मैंने उसकी गर्भावस्था का ख्याल रखा। वह केवल 13 वर्ष की थी…
शीला ग्वाला (असम गौरव)
मुख्यमंत्री ने असम बैभव के अलावा वर्ष 2022 के लिए ‘असम सौरव और असम गौरव’ के 21 प्राप्तकर्ताओं के नामों की घोषणा की। ये पुरस्कार असम सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष राज्य नागरिक पुरस्कार सम्मान के तौर पर घोषित किए जाते हैं। इस वर्ष असम सौरव पुरस्कार के लिए पांच हस्तियों का चयन किया गया है- कृष्णा रॉय (कला और संस्कृति- मोबाइल थियेटर), गिल्बर्टसन संगमा (खेल-फुटबॉल), नयनमोनी सैकिया (खेल- लॉनबॉल), डॉ. बिनॉय कुमार सैकिया (विज्ञान) और डॉ. शशिधर फुकन (हेल्थकेयर एंड पब्लिक सर्विस)।
प्रसिद्ध अबाहन थियेटर के संस्थापक रॉय ने असम सौरव पुरस्कार के लिए चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। “इस पुरस्कार ने जो किया है वह समाज के प्रति मेरी जिम्मेदारी और बढ़ा दी है। मैं बजाली के लोगों और मोबाइल थिएटर समुदाय का आभारी हूं। मैं आने वाले दिनों में भी इसी समर्पण के साथ काम करना जारी रखूंगा।
इस वर्ष असम गौरव पुरस्कार के लिए कुल 15 हस्तियों का चयन किया गया है- धृतिमाला डेका, देबजीत बर्मन, रुस्तम बासुमतारी, मंजे ला, बिनंदा हतिबरुआ, अतुल चंद्र बरुआ, कल्याणी राजवंशी, शीला ग्वाला, डॉ. जोगेश देउरी, डॉ. पंकज लाल गोगोई, सरबेश्वर बासुमतारी, मंथंग हमार, डॉ. ध्रुबज्योति शर्मा, दयाल गोस्वामी और डॉ. सैयद इफ्तिकार अहमद शामिल हैं।
असम वैभव पुरस्कार में 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है और प्राप्तकर्ता जीवन भर सरकारी खर्च पर चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकता है। पुरस्कार के अग्रभाग में असमिया लिपि में “असम बैभव” शब्दों के साथ हॉलोंग पेड़ (डिप्टेरोकार्पस रेटुसस) के पत्ते पर जापी की एक छवि है। असम सौरव में 4 लाख रुपये का नकद पुरस्कार है, जबकि असम गौरव के लिए पुरस्कार राशि ₹ 3 लाख है।