मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने हाल ही में जनता भवन में सीएम कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में असम माइक्रोफाइनेंस प्रोत्साहन और राहत योजना (एएमएफआईआरएस) 2021 की “श्रेणी – III” के तहत राहत का औपचारिक वितरण शुरू किया, ताकि लोगों को सिखा तालुकदार, मुनमी दास और बिनीता तेरान की तरह राहत मिल सके।
ऐसे उधारकर्ता जिनके खाते 31 मार्च, 2021 तक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में बदल गए थे और जिनकी मूल राशि 25,000 रुपये तक बकाया थी, एएमएफआईआरएस 2021 की श्रेणी – III के लाभ के लिए पात्र माना जाता है। राज्य सरकार 291 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। ऋणदाताओं (माइक्रोफाइनेंस संस्थानों) को मुआवजे के रूप में 291 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस कदम से राज्य भर के 2,22,949 कर्ज लेनेवालों को सहायता मिलने की उम्मीद है। बदले में, माइक्रोफाइनेंस संस्थान उधारकर्ताओं को ” कोई बकाया नहीं प्रमाणपत्र” जारी करेंगे। औपचारिक वित्तीय प्रणाली के तहत इससे वह फिर ऋण लेने के योग्य होंगे।
हमारी समृद्ध जैव विविधता एक संपत्ति है: हमारे भविष्य के लिए, हमें इसे निवेश और विकसित करना जारी रखना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने योजना के माध्यम से लाखों महिला माइक्रोफाइनेंस और बैंक ऋण उधारकर्ताओं के फिर से ऋण-योग्य बनने की संभावना पर खुशी व्यक्त की।
एएमएफआईआरएस 2021 को देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम बताते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य उन पात्र उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना था, जिन्होंने माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से छोटे ऋण लिए थे, लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण, वे उधार ली गई रकम पूरी तरह चुका नहीं सके। शिखा तालुकदार (42) का मामला लीजिए। मालीगांव गोशाला की यह बाशिंदा दिसपुर की बैठक में एक राहत की सांस ले रही थी।
दो बच्चों की मां शिखा ने कहा, मैंने 2018 के पहले महीने में ग्रामीण विकास और वित्त प्राइवेट लिमिटेड से सब्जियों की बिक्री के लिए 30,000 रुपये का ऋण लिया। मेरा व्यवसाय शुरुआत में अच्छा चल रहा था। मैं अपनी ईएमआई समय पर चुका रही थी। लेकिन कोविड के दौरान यह पटरी से उतर गया और मैं डिफॉल्टर बन गई।
उन्होंने कहा कि बैंक ऋण भुगतान डिफॉल्टर बनना किसी भी गरीब परिवार के लिए बोझ है। लेकिन असम सरकार द्वारा लिए गए साहसिक निर्णय से आज हम बैंक ऋण के बोझ से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं। ब्याज में आय में लगभग 300 करोड़ रु. की छूट पर सहमत होने के लिए माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। डॉ. शर्मा ने योजना के लाभार्थियों से भविष्य में अपने ऋण चुकाने में अधिक जिम्मेदारी दिखाने की अपील की।
उन्होंने कहा, यह गरीब माइक्रोफाइनेंस उधारकर्ताओं का समर्थन करने और असम में ऋण और पुनर्भुगतान संस्कृति को वापस लाने के लिए सरकार की ओर से एक बार की व्यवस्था है। सभी उधारकर्ताओं को अपने खातों को सक्रिय रखने के लिए समय पर ऋण चुकाकर क्रेडिट अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।