एडवांटेज असम 2.0 की सफलता का हर कोई हकदार है। कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि के आधार पर योजना बनाने से यह संभव हो पाया है। हालांकि, जैसा कि ज्यादातर लोग आपको बताएंगे, एक समझौता ज्ञापन सिर्फ शुरुआत है। किसी भी परिस्थिति में ये बाध्यकारी प्रतिबद्धताएं नहीं हैं। उद्योग जगत के दिग्गज ऐसे शिखर सम्मेलनों में ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने के आदी हैं। इससे उन्हें विकल्प मिलते हैं, लेकिन आखिरकार यह राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं और जमीनी स्तर पर दक्षता ही है, जिसके परिणामस्वरूप ये समझौता ज्ञापन राज्य में निवेश के रूप में वापस आते हैं।
असम सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उसके द्वारा की गई सारी मेहनत किसी भी कारण से व्यर्थ न जाए। अनुवर्ती दौरे, हितधारकों के साथ लगातार संपर्क में रहना और अधिक अनुवर्ती कार्रवाई इन निवेशकों को संकेत देगी कि असम का मतलब व्यापार है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि यह संकेत दिया जाए कि एडवांटेज असम 2.0 को सभी का समर्थन प्राप्त है। सरकार ने क्षेत्रों को सावधानीपूर्वक चुना है और गंभीर रुचि पैदा की है। अब सवाल यह है कि इस नवजात पारिस्थितिकी तंत्र को व्यावहारिकता में कैसे विकसित किया जाए। अगर वादे का 50% भी हकीकत में बदल जाता है, तो भी यह भरोसा किया जा सकता है कि असम 2.0 अपने पिछले अवतार से अलग होगा। व्यवसाय में आत्मसंतुष्टि का कोई स्थान नहीं है।