विद्यांजलि 2.0 पूर्व छात्रों को एक नहीं, अधिक तरीकों से अपने स्कूलों से जोड़ने का एक सफल मॉडल बन रहा है। यह शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है, जिसकी विनम्र शुरुआत 7 सितंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए एक पोर्टल के माध्यम से हुई थी और इसे असम में स्वीकृति मिली है।
पोर्टल का विचार पूर्व छात्रों, पूर्व शिक्षकों, शुभचिंतकों, पेशेवरों, निजी संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और कॉरपोरेट्स, पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों को अपने पूर्व शिक्षण संस्थान में सार्थक योगदान देना है। इस योजना को असम में बहुत अनुकूल प्रतिक्रिया मिली है। लोग जीवन के सभी क्षेत्रों से अपनी पसंद के स्कूल की शिक्षा और बुनियादी ढांचे के मानकों को उन्नत करने में योगदान देने के लिए इस पोर्टल पर अपना नाम दर्ज करने के लिए आगे आए हैं। असम सर्वशिक्षा मिशन की राज्य कार्यक्रम अधिकारी सूमी बरठाकुर ने कहा, इसमें असम देश में नंबर एक स्थान पर है। (बॉक्स देखें)
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई +) कोड के तहत, शैक्षणिक संस्थान पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। एक बार इन संस्थानों के पंजीकृत हो जाने के बाद, स्वयंसेवक विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए सरकारी स्कूलों या अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान में सेवा या कक्षाएं लेने के लिए पुस्तकालयों के लिए किताबें दान करने और फर्नीचर के दान सहित बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए सीधे योगदान कर सकते हैं और उनसे जुड़ सकते हैं।
शोणितपुर जिले के चेंगेलिमोरा गवर्नमेंट गर्ल्स लोअर प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका हेमंत कोच ने पोर्टल के माध्यम से एक सीलिंग फैन दान किया है। कोच नेअसम वार्ता को बताया, मेरे स्कूल की कक्षाओं में तब तक कोई पंखा नहीं था, जब तक कि मैंने एक दान नहीं किया। इससे गर्मियों के दौरान अधिकांश छात्रों परेशानी हुई। पोर्टल के बारे में पता चलने से पहले ही, हमारे स्कूल के शिक्षकों ने सभी कक्षाओं में पंखे दान करने के विचार पर चर्चा की थी। उन्होंने बताया, अब जब स्कूल विद्यांजलि 2.0 पोर्टल के तहत पंजीकृत है, तो ग्रामीण भी स्कूल को कुछ न कुछ दान करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने पहले संस्थान चहारदीवारी के निर्माण के लिए सामग्री का योगदान दिया था। उल्लेखनीय है कि शिवसागर गवर्नमेंट हाई सेकेंडरी बहु उद्देश्यीय स्कूल के 1987 बैच के विद्यार्थियों ने योजना के तहत शिक्षकों के कमरे के लिए कुल 100 टेबल और कुर्सियां दान कीं।
इसी तरह, राजधर बोरा हायर सेकेंडरी स्कूल के 1985 बैच के छात्रों ने अपने अल्मा मेटर में पुस्तकालय को उन्नत बनाने के लिए किताबें और फर्नीचर दान किए। उसी जिले के एक निजी स्कूल में एक शिक्षक, जोनाली झोरा ने पोर्टल में अपना पंजीकरण कराया। उन्होंने अपने स्कूल – लूथेरन हाई स्कूल को एक सीलिंग फैन दान किया है। उन्होंने कहा, मैं समाज में योगदान करने के लिए उत्सुक हूं। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं जो भी कर सकती हूं करने की कोशिश करती हूं। वह कहती हैं, विद्यांजलि 2.0 के माध्यम से मुझे अपने विद्यालय के लिए कुछ करने का अवसर मिला। मेरे परिवार के कई सदस्य इस स्कूल के विद्यार्थी थे। मैंने हमेशा इस संस्था में कुछ योगदान करने का सपना देखा था। मैं पोर्टल के विचार की सराहना करती हूं, जिसके द्वारा दूर-दूर के लोग भी अपनी पसंद के संस्थान में सार्थक योगदान दे सकते हैं।
