प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार द्वारा भारतीय इतिहास से संबंधित सच्चाई को उजागर करने के लिए की गई पहलों को रेखांकित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लचित बरफुकन के शौर्य की मुग्ध कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने जिक्र किया कि किस तरह से मुगलों की बार-बार घुसपैठ की कोशिशों से आहोमों ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता का बचाव किया। शाह ने कहा, अगल लाचित बरफुकन नहीं होते तो पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा नहीं होता।
शाह ने इतिहासकारों, विद्वानों, शिक्षाविदों और छात्रों से 300 ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के अलावा 150 से अधिक वर्षों तक शासन करने वाले 30 भारतीय साम्राज्यों के इतिहास में गहराई से जाकर ‘झूठ’ से भरे इतिहास को सही करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, मैंने कई बार सुना है कि हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। हो सकता है कि जो लिखा गया वह सही था, लेकिन अब हमें गर्व के साथ इतिहास को फिर से लिखने से कोई नहीं रोक सकता। हमें इसमें संशोधन करना होगा और अपना इतिहास रखना होगा। उन्होंने 24 नवंबर को नई दिल्ली में लचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह के पूर्ण सत्र में यह बात दुनिया के सामने गर्व के साथ कही।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए कहा, इस्लामिक शक्तियों ने 1204 और 1607 के बीच कम से कम 22 बार असम पर हमला किया, लेकिन नौ बार जीत सके और वे जीत भी लंबे समय तक नहीं रहीं।
पूर्ण सत्र में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन, जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री, रामेश्वर तेली, अध्यक्ष, असम विधान सभा, बिस्वजीत दैमारी, राज्यसभा सांसद व जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजन गोगोई ने भाग लिया। कार्यक्रम में सांसद तपन कुमार गोगोई, सूचना और जनसंपर्क मंत्री, असम, पीयूष हजारिका, केंद्रीय और राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षाविद, इतिहासकार, शोधकर्ता और छात्र मौजूद रहे। असम सरकार के मुख्य सचिव पबन कुमार बरठाकुर ने स्वागत भाषण दिया।
इससे पहले, मुख्यमंत्री शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने प्रसिद्ध कलाकार नूरुद्दीन अहमद द्वारा बनाई गई ग्रामीण असम की प्रतिकृति और असम के मध्ययुगीन समय की कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी के साथ असमिया गांव का दौरा किया। गृह मंत्री ने लाचित बरफुकन पर एक वृत्तचित्र का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में दो परिचर्चा और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए।