कर्म ही पूजा है। भारतीय ग्रंथों में यह उद्घोष है। लेकिन कई बार यह काम जीवन को कठिन और कठिन बना देता है। इस प्रक्रिया में, हम उन लोगों को भी भूल जाते हैं और उनकी उपेक्षा करते हैं जिन्होंने जीवन की इस पगडंडी में हमें चलना और संसार के ककहरे से हमें सबसे पहले परिचित कराया। वह है- हमारे माता-पिता।
ऐसे में असम सरकार ने उन बुजुर्गों की सुध ली है। काम की आपाधापी के बीच बच्चे अपने आधार स्तंभ को न भूलें और उन्हें यह एहसास दिला सकें कि उन्हें उनकी फिक्र हैं। इसके लिए असम के मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों और राज्य के विधायकों के लिए दो दिन की ‘वैतनिक छुट्टी’ के विचार की कल्पना की ताकि वे अपने माता पिता के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत कर सकें।
111 लखीमपुर विधान सभा क्षेत्र के विधायक मानव डेका ने असम वार्ता को बताया कि भले ही वह महीने में लगभग 15 दिन अपने विधानसभा क्षेत्र में व्यस्त रहते हैं और इसलिए समय अपने घर पर बिताते हैं, फिर भी ये दो दिन वास्तव में उनके लिए खास हैं। उन्होंने इस रिपोर्टर से कहा, मुझे यह अच्छी तरह से पता है कि ये दो दिन उनके लिए हैं। उन्होंने कहा, मुझे अपने माता-पिता के मूल्य का एहसास तब हुआ जब मैंने 2004 में अपने पिता को खो दिया। इसलिए, हमारे मुख्यमंत्री की इस लीक से हटकर और मानवीय सोच ने मुझे इस दिन के महत्व और माता-पिता के साथ रहने की आवश्यकता का एहसास कराया। समय बदल गया है और काम की प्रकृति के कारण हमें अपने माता-पिता से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। फिर भी, इस तरह की व्यवस्था आकर्षण वापस लाती है।
उन्होंने फोन पर इस पत्रिका को बताया, जब मैं घर पर होता हूं, तो मेरी माँ मेरे लिए एक विशेष व्यंजन तैयार करती हैं। यह हमेशा विशेष होता है।असम सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पितृ मातृ बंदना योजना के तहत 9 और 10 फरवरी को विशेष छुट्टियों के रूप में घोषित किया ताकि कर्मचारियों, अधिकारियों और विधायकों को अपने माता-पिता के साथ कहीं भी रहने में सक्षम बनाया जा सके ताकि वे सभी अपने घर से अच्छा समय बिता सकें। अपने माता-पिता (ससुराल सहित) के साथ समय बिता सकें। इस प्रक्रिया को विशेष रूप से इस अवसर के लिए तैयार किए गए एक पोर्टल की मदद से अंजाम दिया गया। नगांव के विधायक रूपक शर्मा अपनी मां के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर गए। मां के साथ वहां बिताए अनमोल पलों को उन्होंने फेसबुक पर साझा किया। उन्होंने अपने अनुभव के बारे में लिखा, जब से मैं विधायक बना, मुझे एहसास हुआ कि मैं उसके साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने में असमर्थ था। मैं खुश और धन्य हूं।