दिगंबर हजारिका की खुशी का आज कोई ठिकाना नहीं है। संगीत में रुचि रखने वाले इस युवक ने पूर्व में अपनी हुनर के बल पर कई मौकों पर वाहवाही लूटी। लेकिन असम के कामरूप जिला अंतर्गत उत्तर गुवाहाटी के रहनेवाले इस दिव्यांग युवक के लिए आज का दिन खास मायने रखता है क्योंकि वह असम सरकार के 44,701 उम्मीदवारों में से एक है जो जल्द ही असम सरकार के कार्यबल का हिस्सा बनने वाला है।
असम वार्ता से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया, पिछले तीन से चार साल से मैं सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए विभिन्न परीक्षाओं में बैठ रहा था। मैं उसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाया, परंतु निराश नहीं हुआ। मेरा परिवार मेरे साथ था। आखिरकार, मुझे चौथी श्रेणी की एक नौकरी प्राप्त करने में सफलता मिली। बातचीत करते हुए उसकी आवाज कांप रही थी, मानो वह जोर से रोना चाह रहा था। एक दृष्टिबाधित युवक के तौर पर अपने जीवन संघर्षों का उल्लेख करते हुए उसने सरकार से ब्रेल शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील की।
डिब्रूगढ़ के टिंगखोंग की निहारिका गोगोई 25 मई को अपने पति के साथ गुवाहाटी पहुंची। पशु चिकित्सा मैदान में जिनके लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था, उनमें से वह भी एक थी। अब वह आबकारी विभाग की तीसरी श्रेणी की एक कर्मचारी है। उन्होंने कहा, मैं दो बच्चियों की मां हूं। सुबह उनके उठने से पहले ही सारे घरेलू काम निपटा लेती हूं। उसके बाद मैं उन्हें अपनी मां के घर पर छोड़कर कोचिंग संस्थान जाती हूं जहा मैं परीक्षा की तैयारी करती हूं। रात को भी उन्हें सुलाकर मैं पढ़ाई करती हूं। इस सफर में मेरे पति भी एक प्रेरणा रहे हैं। संवाददाता से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हम परिवारवाले लोग हैं, मुझे लगता है कि ऐसे ही काम संभालने चाहिए।
गुवाहाटी की प्रभाती बोड़ो अपने स्नातक होने के समय से ही नौकरी के लिए प्रयासरत थी। पिछले पांच-छह वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद अब वह राज्य सरकार की तीसरी श्रेणी की कर्मचारी है। उन्होंने बताया कि असम प्रत्यक्ष नियुक्ति परीक्षा के पहलों की सराहना की जानी चाहिए। पूर्व में, हालांकि मैंने कई प्रारंभिक परिक्षाएं पास की लेकिन अगले चरण में मैं असफल हो जाती थी। मानसिक रूप से यह बहुत कठिन था। इसबार नतीजा अलग था। उन्होंने कहा, एक साफ व पारदर्शी परीक्षा की बदौलत मुझे एक अच्छी नौकरी मिली।
मयूर कलिता नगांव के कालियाबोर का रहनेवाला है। उसने वर्ष 2021 में बी.एड. किया और उसके बाद एडीआरए के लिए तैयारी करने लगा। बहुत जल्द वह असम सरकार की तीसरी श्रेणी का कर्मचारी बनने वाला है और वह भी पहले ही प्रयास में। असम वार्ता से बातचीत में उसने कहा, इससे राज्य में सरकारी नौकरी के क्षेत्र में एक नए युग का आगाज होगा।
नलबाड़ी के गोब्राडोल के ज्योतिष राजवंशी ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद एक सरकारी नौकरी प्राप्त करने के बाद पूर्ण समर्पण व लगन से काम करने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया, इस परीक्षा के माध्यम से हमारे गांव के पैंतीस लोग तीसरी व चौथी श्रेणी में सरकारी नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे। हम एक दूसरे से संपर्क किया करते थे। यह एक तरह से सामूहिक सफलता और हमारे गांव की सफलता है।
गोलाघाट की चंपा दलै वर्ष 2019 से विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, जब पूरा विश्व कोविड 19 से प्रभावित था। उन्होंने सरकारी नौकरी प्राप्त करने का श्रेय अपने परिवार को दिया। ऊपर उल्लेखित लोगों की तरह, डिब्रूगढ़ के कल्पजीत गोगोई ने भी साफ व पारदर्शी रूप से परीक्षा आयोजित कराने के लिए राज्य सरकार को श्रेय दिया, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी छोटी बहन के साथ वर्षों की मेहनत के बाद सरकारी नौकरी प्राप्त कर असम के लोगों की सेवा करने का अवसर प्राप्त किया। इसके साथ ही इसबार परीक्षा में पास न होने वाले लोगों के लिए उन्होंने एक सुझाव दिया। कार्यक्रम स्थल पर एक अभूतपूर्व माहौल में शामिल होने से पूर्व उन्होंने कहा, सरकार ने भ्रष्टाचार रहित प्रक्रिया सुनिश्चित की है और अब यह लंबे समय तक रहेगी।