जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद गुवाहाटी में मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ बातचीत करने के लिए सहमत हुए, तो मैंने ऐसा महसूस किया जैसे वर्षों की मुराद पूरी हो गई हो। उन्होंने एक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में अपने अनुभव और यात्रा के बारे में बात की, जिसने हमें देश के लोगों के प्रति उनके समर्पण और उनकी मानसिकता का एहसास कराया। अब मुझे पता है कि किस चीज ने उन्हें जड़ से जोड़े रखा है और उनमें इतनी मजबूत नैतिक शक्ति क्यों हैं। मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगी भी उनके व्यक्तित्व और कार्योन्मुख दर्शन से मंत्रमुग्ध थे, जिसके वे हिमायती हैं। उनकी निर्णायकता और संवेदनशीलता उनके व्यक्तित्व के लिए अद्वितीय हैं।
मार्च और उससे पहले के प्रधानमंत्री के उत्तर पूर्व के दौरे व साथ ही उनके कैबिनेट सहयोगियों के माध्यम से इस क्षेत्र की निरंतर निगरानी ने निश्चित रूप से उन्हें यह आभास दिया है कि कभी उपेक्षित इस क्षेत्र पर उनके ध्यान का प्रभाव पड़ने लगा है। इसलिए, उनकी सरकार ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) के तहत नगालैंड, असम और मणिपुर के अशांत क्षेत्रों के दायरे को कम करने का फैसला किया, जो कि यहां के लोगों को प्रभावित करेगा। हमारे गृह मंत्री अमित शाह जी के अनुसार, यह फैसला सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार के कारण लिया गया है। जैसा कि हमारे आदरणीय गृह मंत्री जी ने ट्वीट किया कि भारत के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में सुरक्षा, शांति और विकास को प्राथमिकता दी है। इसका परिणाम यह हुआ कि हम तेजी से शांति और विकास के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। कोई और अधिक सहमत नहीं हो सकता। असम के लोगों के अलावा खासी, मिजो नगा और मणिपुरी के अलावा और कौन कहेगा कि उसने अपने जीवन में ऐसा शांतिपूर्ण माहौल कभी नहीं देखा। प्रधानमंत्री वास्तव में “इस क्षेत्र को शेष भारत के दिलों से जोड़ने” में सक्षम हुए हैं। बेशक, उन्होंने केंद्र और पूर्वोत्तर के बीच की दूरी को कम कर दिया है।
मार्च और उससे पहले के प्रधानमंत्री के उत्तर पूर्व के दौरे व साथ ही उनके कैबिनेट सहयोगियों के माध्यम से इस क्षेत्र की निरंतर निगरानी ने निश्चित रूप से उन्हें यह आभास दिया है कि कभी उपेक्षित इस क्षेत्र पर उनके ध्यान का प्रभाव पड़ने लगा है।
पिछले नौ वर्षों में मोदी जी द्वारा अष्ट-लक्ष्मी राज्यों को यह प्राथमिकता अब समृद्ध लाभांश दे रही है। हमारी अर्थव्यवस्था जीवंत है, हमारी सुरक्षा नीति मजबूत है और सामाजिक ताना-बाना हमेशा की तरह सामंजस्यपूर्ण है। ये वे तत्व हैं जिनके कारण राज्य और इसकी अर्थव्यवस्था में जबरदस्त वृद्धि हुई है। मेरी सहयोगी और वित्त मंत्री अजंता नियोग द्वारा प्रस्तुत बजट ने दुनिया को यह संदेश दिया है। इसने हमें बिना दो बार सोचे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च करने के साहसिक कदम उठाने की अनुमति दी है। कुछ साल पहले यह अकल्पनीय था कि असम जैसी अर्थव्यवस्था 1.39 लाख करोड़ रुपये के बजट के बारे में सोच सकती है। इसमें से 20% से अधिक पूंजीगत व्यय होगा, यह एक बूक्टर है जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है और रोजगार पैदा करता है। यह एक ऐसा बजट है जो एक नए असम और इसके मेहनती लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करता है। आज, हम अगले वित्त वर्ष के अंत तक 5.5 लाख करोड़ के जीएसडीपी का लक्ष्य रख रहे हैं। हमें लगता है कि यह हमारा योगदान होगा क्योंकि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर (पांच लाख करोड़) की अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर है।
बजट में मेरा व्यक्तिगत पसंदीदा विषय “मुख्यमंत्री स्व-नियोजन मिशन” है। इसके माध्यम से हम एक विशाल रोजगार सृजन का बीज बोएंगे जो स्थानीय लोगों की प्रतिभा और सरकार के समर्थन के दोहरे स्तंभों पर निर्मित होगा। हाल ही में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज को मान्यता दी और उसे 100 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश देने की स्वीकृति दी। यह असम के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि केवल एक वर्ष में चार नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं! मैं आपको उन दिनों में वापस ले चलता हूं जब हमारे पास सिर्फ तीन मेडिकल कॉलेज थे। अब, राज्य में कुल 12 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ, असम उन कुछ राज्यों में से एक है जहां सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य उपचार सरकार की प्राथमिकता है। मार्च में हमें खबर मिली कि असम ने हमारे महान आहोम सेनापति लाचित बरफुकन पर 42.9 लाख हस्तलिखित नोट्स का गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
यह सम्मान एक ही विषय पर दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन फोटो एल्बम की श्रेणी में प्राप्त हुई है। हालांकि मेरी खुशी उस उपलब्धि पर आधारित नहीं है जो हमने हासिल की है, बल्कि राज्य के लोगों द्वारा उस महान सपूत के लिए प्यार और सम्मान के स्वतःस्फूर्त प्रवाह को महसूस करने में है जो इसके हकदार हैं। मेरी सरकार को आप सभी के लिए यह दिखाने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने की खुशी है कि लाचित और उनकी वीरता आपके दिल में अंकित है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी, जिसका समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया था, जिन्होंने अपने “मन की बात” में विशेष रूप से इस उपलब्धि का उल्लेख किया था।
अब हम राज्य के 11,000 से अधिक नर्तकियों और धूलियों के लिए एक समान वातावरण बनाने जा रहे हैं ताकि एक ही स्थान पर बिहू के विशाल प्रदर्शन का एक और गिनीज रिकॉर्ड बनाया जा सके। रिकॉर्ड इस नृत्य रूप को वैश्विक दर्शकों तक ले जाने की हमारी हार्दिक इच्छा का एक तार्किक निष्कर्ष मात्र होगा। हम आने वाले समय में राज्य के अन्य नृत्य रूपों के साथ ऐसा करने का प्रयास करेंगे। मुझे उम्मीद है कि वसंत ऋतु के साथ, हमारे बिहू उत्सव के चारों ओर प्यार और गर्व होगा जिसे हमारे माननीय प्रधानमंत्री भी अनुभव करेंगे।
मैं इस अवसर पर असम के लोगों और असम वार्ता के पाठकों को रंगाली बिहू की शुभकामनाएं देता हूं।