प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को रंगाली बिहू उत्सव के पहले दिन, गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में बिहू नर्तकियों और ढोल वादकों के अब तक के सबसे बड़े समूह के साक्षी बने।13 अप्रैल को असम ने पूरे सजधज के साथ अब तक का सबसे बड़ा बिहू नृत्य प्रस्तुत करके गिनीज रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। यह उपलब्धि 11,304 लोक नर्तकों और 2,548 ढोल वादकों ने हासिल की जिन्होंने एक ही स्थान पर प्रदर्शन किया।
इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि आज (14 अप्रैल, 2023) के शानदार नजारे को देखने वाला कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में इसे कभी नहीं भूल पाएगा। उन्होंने कहा, यह कल्पना से परे अभूतपूर्व है, यह असम है। प्रधानमंत्री ने कहा, ढोल, पेपा और गोगोना की आवाज आज पूरे भारत में सुनी जा सकती है। असम के हजारों कलाकारों के प्रयासों और तालमेल को देश के साथ-साथ दुनिया भी बड़े गर्व के साथ देख रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के कार्यक्रम में मौजूद लोग या टीवी पर देख रहे लोग इस नजारे को अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकते। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह अविस्मरणीय, अद्भुत और अभूतपूर्व है।
इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कलाकारों की भावना और उत्साह की सराहना की। उन्होंने इस अवसर का उपयोग असम और देश के लोगों को बिहू और देश भर के अन्य त्योहारों पर बधाई देने के लिए किया। उन्होंने इसे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रतिबिंब बताया। प्रधानमंत्री ने सावधानीपूर्वक अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए असम के लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा, हमारे त्यौहार केवल संस्कृति का उत्सव नहीं हैं। बल्कि वे सबको जोड़ने और साथ मिलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी हैं। यह रंगाली (बोहाग) बिहू की शाश्वत भावना है। यह असम के लोगों के लिए दिल और आत्मा का त्योहार है। यह हर खाई को पाटता है और हर अंतर को मिटा देता है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य का सबसे अच्छा प्रतीक है। इसलिए कोई भी बिहू को केवल शाब्दिक अर्थ में नहीं समझ सकता है। बल्कि इसे समझने के लिए भावनाओं की जरूरत होती है। बहन-बेटियों के बालों में सजे ‘कोपो फूल’, मूगा रेशम, मेखला चादर और रिहा से भी कुछ ऐसा ही अहसास होता है। ये एहसास आज हर घर में बनने वाले उन खास पकवानों में भी महसूस होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विशेषता इसकी परंपराएं हैं, जो हजारों वर्षों से हर भारतीय को एक साथ जोड़ती आ रही हैं। उन्होंने देखा कि राष्ट्र गुलामी के अंधेरे समय के खिलाफ एक साथ खड़ा था और भारत की संस्कृति और विरासत पर कई तरह के हमले हुए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अमर रहा, भले ही इसने शक्तियों और शासकों में कई बदलाव देखे जो आए और चले गए। पीएम मोदी ने कहा, प्रत्येक भारतीय की चेतना देश की मिट्टी और परंपराओं से बनी है और यह एक विकसित भारत की नींव भी है। सांस्कृतिक प्रतीक ज्योति प्रसाद अग्रवाल के गीत बिस्वा बिजॉय नौजवान को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह गीत असम और भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने गीत को सुनाया और उपस्थित लोगों ने तालियां बजाईं। उन्होंने बताया कि यह गीत भारत के युवाओं को भारत माता की पुकार सुनने और बदलाव का दूत बनने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, यह गीत तब लिखा गया था, जब स्वतंत्र भारत सबसे बड़ा सपना था। आज जब हम आजाद हैं, तो विकसित भारत सबसे बड़ा सपना है। सांस्कृतिक जुड़ाव की बात करते हुए पीएम मोदी ने दिल्ली में महान असमिया योद्धा लचित बरफुकन के 400वें साल के भव्य समारोह का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा,
आज विचार और संस्कृति के सभी रूपों के बीच संबंध गहरा हो रहा है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के माधवपुर मेला दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि कृष्ण रुक्मणी का यह बंधन उत्तर पूर्व को पश्चिमी भारत से जोड़ता है। उन्होंने मूगा सिल्क, तेजपुर लेसु, जोहा चावल, बोका चाउल, काजी नेमू और गामोछा को जीआई टैग का दर्जा दिए जाने की सराहना की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में सबसे बड़ा बिहू नृत्य और ढोल दल का गिनीज रिकॉर्ड प्रमाण पत्र प्राप्त किया। प्रधानमंत्री ने एक बैटरी चालित वाहन में कार्यक्रम स्थल के चारों ओर घूमे और कुछ बिहू नर्तकियों के साथ बातचीत की।