26 जनवरी को सरभोग थानांतर्गत कुरबाहा गांव में एक अभियान चलाने के दौरान बरपेटा पुलिस ने बाल विवाह के सिलसिले में चार लोगों पकड़ा। बरपेटा के पुलिस अधीक्षक अमिताभ सिन्हा ने कहा, एक नाबालिग लड़की की शादी के सिलसिले में हमने एक काजी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया। इस वारदात में शामिल अन्य तीन लोग हैं, लड़का, लड़के के पिता और उसके चाचा। मालूम हो कि 23 जनवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जहां बाल विवाह को रोकने के निमित्त बहु आयामी रणनीति अपनाने का फैसला लिया गया, वहीं ऐसे में यह गिरफ्तारी खासा महत्त्वपूर्ण है। इस बैठक में मंत्रिमंडल ने बाल विवाह जैसी बुराई के खिलाफ राज्य भर में मुहिम चलाने का निर्णय लिया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस 5) पर चर्चा के दौरान यह निर्णय लिया गया था।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि सरकार ने बाल विवाह को खत्म करने के लिए आगामी चौदह दिनों में तेज अभियान चलाने का पुलिस को निर्देश दिया है। वर्ष 2019 – 20 के परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के अनुसार असम में 20- 24 वर्ष की महिलाओं में 31.8 प्रतिशत महिलाएं 18 वर्ष पूरा करने से पहले ही विवाहित हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा 23.3 प्रतिशत है। वहीं, सर्वेक्षण के दौरान असम में 15 से 19 वर्ष की महिलाओं में 11.7 प्रतिशत महिलाएं पहले से ही मां बन चुकी हैं या गर्भवती हैं जो कि तुलनात्मक रूप से भारत में 6.8 फीसदी है।
मुख्य्मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 और 2020 के दौरान किए गए केंद्र के सर्वे में किस तरह राज्य में 11.7 प्रतिशत नाबालिग लड़कियों के मां बनने या गर्भवती होने का खतरनाक तथ्य सामने आया है जो कि राष्ट्रीय औसत 6.8 प्रतिशत से काफी ज्यादा है। डॉ. शर्मा ने कहा कि यह आंकड़ा खुलासा करता है की असम में अबाध गति से बाल विवाह हो रहे हैं जो कि राज्य में उच्च मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर का मूल कारण है।
डॉ. शर्मा ने कहा, चिंता की बात यह है कि धुबड़ी जिले में, 50.8% विवाह प्रतिबंधित उम्र श्रेणी में हुई है। इसके अलावा 44.7 प्रतिशत बाल विवाह दक्षिण सालमारा; 42.8 % और 42.6% क्रमश: दरंग और नगांव में, 41.8 और 41.7 प्रतिशत ग्वालपाड़ा और बंगाईगांव में, 40.1 प्रतिशत बरपेटा में, 39.1 प्रतिशत मोरिगांव में और डिमा हासाओ जिले में सबसे कम बाल विवाह के 16.5 प्रतिशत में मामले दर्ज किए गए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, पश्चिम असम के धुबड़ी जिले में 22.4% महिलाओं/लड़कियों के नाबालिग उम्र में शिशु को जन्म देने के मामले दर्ज किए गए। उसी तरह, दक्षिण सालमारा में 22%, दरंग में 16.1 %; कामरूप में 15.7%; होजाई में 15.6%; बंगाईगांव में 15.4%, नगांव में 15% और बरपेटा जिले में 14.2 प्रतिशत महिलाओं ने प्रतिबंधित उम्र में शिशु को जन्म दिया।
डॉ. शर्मा ने कहा,”बाल विवाह जैसे बुरे काम में शामिल लोगों के खिलाफ राज्यभर में पुलिस की ओर से कारवाई की जाएगी। 14 वर्ष से कम उम्र वाली स्थिति में पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा, वहीं जिन मामलों में लड़कियों की उम्र 14 से 18 वर्ष के बीच है, वहां बाल विवाह प्रतिबंध कानून,2006 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।
2012 के पोक्सो कानून के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़की को नाबालिग व बच्ची बताया गया है और एक प्रौढ़ तथा बच्ची के बीच शारीरिक संबंध अपराध है। कानून के अनुसार एक पति यदि अपनी पत्नी (जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो) के साथ यौन संबंध बनाता है तो इसे यौन अपराध बताया गया है। पॉक्सो कानून के अनुसार, इस कानून का उल्लंघन करने पर पुरूष आरोपी के लिए आजीवन कारावास की सजा है। 2006 के बाल विवाह कानून के अंतर्गत, 14 से 18 वर्ष की आयु वाली लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के फैसले के आधार पर अब गांव पंचायत की सचिव बाल विवाह प्रतिबंध अधिकारी (सीएमपीओ) का दायित्व भी संभालेंगी। अपने न्याय क्षेत्र में आनेवाली ऐसी किसी भी घटना का एफआईआर दर्ज करेंगी। बाल विवाह को रोकने का राज्य सरकार का यह कदम कहीं न कहीं कर्नाटक के ऐसे नियम से प्रेरित है। डॉ. शर्मा ने कहा,”कर्नाटक सरकार ऐसा ही कर रही है। इसलिए हम भी उनसे कुछ प्रेरणा ले रहे हैं।” साथ ही उन्होंने कहा कि इस बुराई को आनेवाले पांच सालों के अंदर जड़ से खत्म करना सरकार की प्राथमिकता होगी।