बंगाईगांव जिले के जोगीघोपा में घर पर प्रसव के दौरान 16 वर्षीय मां की मौत राज्य में बाल विवाह के दोषियों के खिलाफ सरकार की ओर से चलाए गए अभियान का सबसे बड़ा कारण बनी। हालांकि, उस गर्भवती किशोरी को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब सब खत्म हो गया था। उसके पति और ससुर की बाद में गिरफ्तारी भी हुई।
उसकी तरह, राज्य भर में हजारों लोगों ने संस्थागत प्रसव के दौरान भी अपनी जान गंवाई है क्योंकि वे कम उम्र की हैं और कम उम्र की महिलाएं बच्चों के जन्म के साथ शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को सह पाने में सक्षम नहीं होतीं।
23 जनवरी को कैबिनेट के एक फैसले के दौरान परेशान असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने 2022 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (5) के चिंताजनक आंकड़ों को अपने कैबिनेट सहयोगियों के समक्ष रखा और बच्चों के संरक्षण के तहत राज्य में बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो), 2012 और बाल विवाह अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत बड़े पैमाने पर पुलिस कार्रवाई का आह्वान किया, ताकि किशोरियों को इन दुष्परिणाम से बचाया जा सके। इसके तहत, पुलिस ने राज्यभर में बड़ा अभियान चलाकर दोषियों को दोनों कानूनों के अंतर्गत गिरफ्तार किया।
पिछले पांच हफ्तों में कुल 4235 मामले दर्ज किए गए, जबकि अपराधियों की कुल संख्या की पहचान 6707 की गई है, जबकि न्यायिक हिरासत में संख्या 3047। मुख्यमंत्री ने बाद में मीडिया के साथ अपनी बातचीत में यह स्पष्ट कर दिया कि यह अभियान 2026 में असम में विधानसभा चुनाव तक चलेगा। सरकार की ओर से समाज में व्याप्त इस कुरीती के खिलाफ चलाए गए इस अभियान को समाज के सभी वर्गों से समर्थन मिला। इनमें गैर-सरकारी संगठनों, राज्य भर में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले भी थे। उनमें से एक कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन है, जिसका प्रबंधन नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा किया जाता है।
देश भर के मीडिया के लिए फाउंडेशन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, राज्य सरकार द्वारा की गई यह कार्रवाई देश के किसी भी राज्य सरकार द्वारा बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून को अक्षरशः लागू करने की दिशा में यह पहला गंभीर कदम है।
असम में बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ उत्सव के मिगुएल दास ने राज्य सरकार की कार्रवाई का स्वागत किया। उन्होंने असम वार्ता से कहा, बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। हम इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की दिशा में मुख्यमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हैं। बरपेटा के रफीकुल इस्लाम 2015 से बाल विवाह को रोकने के लिए काम कर रहे हैं। इस रिपोर्टर से बात करते हुए, उन्होंने उन चुनौतियों के बारे में बताया, जिनका सामना वह तब से कर रहे हैं। उन्होंने 2016 में बरपेटा जिले के हाउली में हुई एक घटना का भी जिक्र किया, जहां वे तमाम जोखिमों के बावजूद भावी दूल्हा और दुल्हन के परिवारों को समझाने में कामयाब रहे थे।
उन्होंने कहा, बाल विवाह में शामिल दुल्हन के परिवार ज्यादातर अशिक्षित और आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं। समाज को इससे छुटकारा दिलाने के लिए, परिवारों को बालिकाओं की शिक्षा में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। मैं उम्मीद करता हूं कि सरकार इस पर ध्यान देगी। शोणितपुर जिले के चाय बागानों में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के विषय पर हाल ही में अपनी डॉक्टरेट की थीसिस पूरी करने वाली शिक्षाविद् मृदुला शर्मा कहती हैं कि उन्होंने इन बागानों में अपने शोध के दौरान परेशान करने वाले रुझान देखे थे।
वह कहती हैं, अपने शोध के दौरान, मैंने देखा कि अपने गंभीर परिणामों के बावजूद इन चाय बागानों में बाल विवाह प्रचलित थे। मैं असम सरकार के इस कदम की सराहना करती हूं। मुझे लगता है कि शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से बाल और मातृ मृत्यु दर की घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
अभियान शुरू होने के कुछ दिनों बाद असम के मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि राज्य के आगामी बजट में अभियान से उत्पन्न होने वाले मुद्दों का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त प्रावधान होगा, जिसमें उन गर्भवती महिलाओं और युवा माताओं के पुनर्वास और निर्वाह शामिल हैं। लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हमारे पास एक कॉल सेंटर होगा। सिस्टम को जड़ से खत्म करने के लिए खुफिया जानकारी जुटाने समेत एजेंसियों का एक नेटवर्क होगा।
वह कहती हैं, अपने शोध के दौरान, मैंने देखा कि अपने गंभीर परिणामों के बावजूद इन चाय बागानों में बाल विवाह प्रचलित थे। मैं असम सरकार के इस कदम की सराहना करती हूं। मुझे लगता है कि शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से बाल और मातृ मृत्यु दर की घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
अभियान शुरू होने के कुछ दिनों बाद असम के मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि राज्य के आगामी बजट में अभियान से उत्पन्न होने वाले मुद्दों का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त प्रावधान होगा, जिसमें उन गर्भवती महिलाओं और युवा माताओं के पुनर्वास और निर्वाह शामिल हैं। लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हमारे पास एक कॉल सेंटर होगा। सिस्टम को जड़ से खत्म करने के लिए खुफिया जानकारी जुटाने समेत एजेंसियों का एक नेटवर्क होगा।