परिवहन विभाग ने आखिरकार निजी सिटी बस को गुवाहाटी में बस किराया बढ़ाने के लिए ऑपरेटर्स को हरी झंडी दे दी है। हालांकि हैरान करने वाली बात ये है कि ये आधिकारिक तौर पर जिस किराया को अब स्वीकारा गया है, बस ऑपरेटर्स वह किराया यात्रियों से पहले से ही वसूल रहे हैं। इसका अर्थ है ऑपरेटर विभाग से एक कदम आगे थे और वह सिर्फ मूक दर्शक बना रहा। क्या हमें एक बार और बस किराए में वृद्धि देखनी होगी या फिर पहले वाला ही किराया बहाल रहेगा? विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निजी बस चालक अब दोबारा इसमें वृद्धि न करें।
कोविड -19 के दौरान, 50% यात्री की आड़ में दोगुना किराया नीति के जरिये बस ऑपरेटर ने यह अतिरिक्त बोझ निरुपाय यात्रियों के सिर पर लाद दिया। सरकारी दिशा निर्देश के अभाव में वह किराया तमाम पाबंदियों के हटने के बावजूद जारी है। बसों को सरकार द्वारा विनियमित करने की जरूरत है। वहीं नये किराए की सूची को बसों में ऐसे जगह चिपकाए जाने की जरूरत है जहां से यात्री आसानी से उसे देख सकें। साथ ही बसों के स्टॉपेज के लिए एक निर्धारित समय होना चाहिए। वहीं, बस मालिकों के लिए बाध्यतामूलक हो कि एक निर्धारित स्थान के लिए निश्चित किराया हो। न कि 10 और 15 रुपये का सामान्य टिकट।