बरपेटा टाउन के पास पट बाउसी क्षेत्र की रहने वाली भनीता पाठक (45) स्तन कैंसर की मरीज हैं। करीब दस महीने पहले उन्हें स्तन कैंसर का पता चला था। उनकी पहली कीमोथेरेपी चेन्नई में थी, लेकिन इस साल 29 जनवरी को बरपेटा कैंसर केयर सेंटर (बीसीसी) का उद्घाटन होने के बाद उन्होंने अपने गृहनगर में ही दूसरी खुराक ली। इस तरह से वह इस खतरनाक बीमारी के इलाज में होने वाले अतिरिक्त खर्चों से बच गई।
पाठक ने असम वार्ता को बताया, मेरे कैंसर का पता लगभग दस महीने पहले चला था। जब मेरे डॉक्टर ने मुझे यह बात बताई तो मैं अपने इलाज के लिए परिवार के दो सदस्यों के साथ चेन्नई गई। मैंने वहां कीमोथेरेपी की अपनी पहली खुराक ली। आज, मैं अपनी दूसरी खुराक लेने के लिए यहां आई हूं। उन्होंने अस्पताल औरसरकार की जमकर तारीफ की। वह कहती हैं, चेन्नई में या वहां डॉक्टरों के इलाज में कोई अंतर नहीं है। यह कम खर्चीला और समय बचाने वाला है। साथ ही कैंसर के मरीजों को आराम की जरूरत होती है। मुझे खुशी है कि हमारे जिले में एक अच्छा कैंसर अस्पताल है।
निचले असम के बंगाईगांव जिले के चटला इलाके के रहने वाले सैफुल इस्लाम (54) गले के कैंसर से पीड़ित हैं। सैफुल कहते हैं, मेरा प्रारंभिक कैंसर उपचार एक साल पहले गुवाहाटी के बी बरुआ कैंसर संस्थान में शुरू हुआ था। आज, मैं अपनी रेडियोथेरेपी लेने के लिए बरपेटा कैंसर सेंटर में हूं। मुझे डॉक्टरों की सलाह थी कि चूंकि यह अस्पताल मेरे गृहनगर के पास है, इसलिए मुझे बीसीसी में अपना रेडियोथेरेपी उपचार लेना चाहिए। मैं अटल अमृत अभियान कार्ड धारक हूं। मेरा इलाज निःशुल्क है। यह केंद्र जिले और आसपास के जिलों के लोगों के लिए वरदान बन गया है। आंकड़े बताते हैं कि इस नवनिर्मित कैंसर अस्पताल में इलाज के लिए बड़ी संख्या में मरीज आए हैं। 135 बिस्तरों वाले इस बीसीसी में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है। हाल ही में, निचले असम के जिलों सहित पूरे राज्य में कैंसर के मामलों में तेजी आई है।
असम सरकार और टाटा ट्रस्ट के बीच एक संयुक्त उद्यम व असम कैंसर केयर फाउंडेन की इकाई, की इस साल 29 जनवरी को शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही एसीसीएफ के छह केंद्रों का उद्घाटन वर्चुअल माध्यम से किया था।
बीसीसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सत्य नारायण शर्मा कहते हैं, हर दिन, हमारे पास बहुत सारे मरीज होते हैं। इसका कारण यह है कि बरपेटा और उसके आसपास के जिलों में हाल ही में कैंसर के मामलों में तेजी देखी गई है। हम आने वाले महीनों में केंद्र में पीईटी स्कैन सुविधा जैसे उन्नत चिकित्सा उपकरण खरीदेंगे। तब उपचार का स्तर और ऊपर जाएगा।
डॉ शर्मा का कहना है कि इसके उद्घाटन से15 अक्तूबर तक 6,804 ओपीडी (आउट पेशेंट विभाग) परामर्श पूरा हो चुका है। उनके मुताबिक सेंटर के रेडियोथेरेपी विंग की मांग अधिक है। सेंटर की प्रयोगशाला ने अब तक 11,200 परीक्षण किए हैं।डॉ शर्मा ने कहा कि केंद्र ऐसे स्थान पर है कि इससे लोगों का वित्तीय और भावनात्मक बोझ कम हुआ है। पहले लोगों को इलाज के लिए गुवाहाटी या राज्य के बाहर की यात्रा करनी पड़ती थी।
आत्म विश्वास से लबरेज अधीक्षक डॉ. शर्मा कहते हैं, हमारे पास मरीजों के रिवर्स फ्लो के मामले हैं। जिन कैंसर रोगियों का पहले राज्य से बाहर इलाज किया जाता था, वे अब हमारे पास वापस आ रहे हैं। यह मरीजों के लिए कई मायनों में अच्छा है। हम देश के कई जाने-माने अस्पतालों की तुलना में बेहतर कैंसर देखभाल सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।
डॉ शर्मा ने कहा, कैंसर के इलाज और देखभाल के मामले में जल्दी रोग का पता चलना, आधी लड़ाई जीतने के समान है। कैंसर का जल्द पता लगाना तभी संभव है जब लोग इस बीमारी के बारे में जागरूक हों और डॉक्टरों से सलाह लें। हमने अकेले इस पर एक कियोस्क स्थापित किया है। इसका मकसद लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा करना है। जागरूकता किसी भी बीमारी की रोकथाम की दिशा में पहला कदम है।