असम में बीता एक वर्ष भविष्य की नई उम्मीदें लेकर आया है। डॉ हिमंत विश्वशर्मा की सरकार ने प्रदेश में जो प्रगति की है उससे यहां की जनता में आशावादी संभावनाओं की आस जगी है।
दीप्ति रानी तालुकादार, गोपी डेका, सैदुल अली, बिनंदा राजवंशी, आज इन सब के चेहरे पर सुकून की मुस्कान खिली है। ये सभी राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थी हैं। ये असल में सत्तारूढ़ सरकार के प्रगतिशील एक वर्ष का रिपोर्ट कार्ड हैं। सैदुल को उसके चाचा की मौत पर प्रार्थना योजना के तहत मिला मुआवजा हो या सरकार की असम माइक्रोफाइनेंस इंसेंटिव एंड रिलीफ स्कीम की से दीप्ति की कर्ज माफी ऐसी कई पहलों से जनता लाभान्वित हुई है। गोपी और बिनंदा जैसे न जाने कितने अन्य हैं जिन्हें सरकार के नीतिगत फैसलों से लाभ मिला।
कोरोना महामारी की भयावहता ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया। पूर्वोत्तर राज्य असम में भी पहली लहर के दौरान सरकार को झटका लगा। लेकिन हिमंत विश्वशर्मा की सरकार ने पहली लहर से सबक लेकर दूसरी लहर आने तक खुद को संभाला।
जीएसडीपी वृद्धि वाला इकलौता राज्य बना असम
दूसरी लहर के बाद सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में वृद्धि दर्ज करने वाला असम इकलौता राज्य बना। परिवर्तनीय कीमतों पर राज्य का जीएसडीपी 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 13.89 प्रतिशत बढ़ा है । यही नहीं, जीएसटी संग्रह और अन्य स्रोतों से राजस्व भी बढ़ा। इसके जरिये सरकार ने एनआरएल में 2,187 करोड़ रुपये अतिरिक्त निवेश भी बढ़ाया। बिजली उपभोक्ताओं से राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई।
बुनियादी ढांचे व स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हुआ काम
डॉ. हिमंत विश्वशर्मा सरकार ने बुनियादी ढांचा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सराहनीय काम किया। दोनों क्षेत्रों को मजबूती देने की योजनाएं बनाईं। खासतौर से कैंसर के इलाज के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हुआ।
युवाओं को रोजगार, नशा मुक्ति की दिशा में बढ़ रही सरकार
असम सरकार प्रदेश के युवाओं के लिए एक लाख रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके अलावा नशा मुक्ति और पशु तस्करी रोकने के क्षेत्र में भी सरकार ने उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके लिए उसकी प्रशंसा भी हो रही है।
उग्रवादियों को मुख्यधारा से जोड़ा
असम सरकार ने बोडो समझौता और आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए 168.12 करोड़ रुपये का खर्च किया। हिमंत विश्वशर्मा सरकार की यह बड़ी उपलब्धि है। उग्रवादी समूहों पर लगातार दबाव के परिणामस्वरूप कुछ उग्रवादी समूह मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
भौगोलिक विवादों को भी किया हल
सत्तारूढ़ सरकार इतिहास और भूगोल से जुड़े विवादों को हल कर रही है। यह हिमंत विश्वशर्मा सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और केंद्र के भारी समर्थन का नतीजा है।
असम और मेघालय के बीच का ऐतिहासिक सीमा सौदा इसका एक उदाहरण है।
ये योजनाएं दे रहीं विकास रथ को गति
असम सरकार ने ओरुनोदोई योजना की प्रत्यक्ष हस्तांतरण राशि को 830 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया। वहीं, बिजली शुल्क के लिए लाभार्थियों को 250 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देने की भी योजना है। बसुंधरा मिशन के तहत भूमि से संबंधित सेवा वितरण प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, जबकि असम लोक सेवा का अधिकार अधिनियम में प्रभावशाली निवारण प्रतिशत देखने को मिला। इसके अलावा दरंग का गोरुखुटी राज्य में नई कृषि क्रांति का दीपस्तंभ बन रहा है। इस तरह राज्य विकास के पथ पर अग्रसर है।