रोड मैप 2026 का उद्देश्य प्रमुख विकास उद्देश्यों को प्राप्त करना और प्रत्येक सरकारी विभाग के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना है। सितंबर में आयोजित चिंतन शिविर इसकी एक शुरुआत थी। राजनीतिक नेतृत्व और शीर्ष अधिकारी उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक साथ बैठे, जिनमें अंतर-विभागीय समन्वय, चिर परिचित बाधाओं और अनुमानित आवश्यक संसाधन शामिल थे। यह निश्चित रूप से एक ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण था जो वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए शुभ संकेत देता है। ऊर्जावान मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने एक व्यवस्थित फॉलो अप (अनुवर्ती कार्रवाई) की आवश्यकता पर जोर दिया है क्योंकि यह वह जगह है, जहां अधिकांश योजनाएं कार्यान्वयन में लड़खड़ाती हैं।
जमीनी स्तर पर आम नागरिक क्या चाहता है? जीवन की बेहतर गुणवत्ता? पड़ोसी भूटान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर नहीं, बल्कि जीएनएच (सकल राष्ट्रीय खुशी) पर ध्यान केंद्रित करता है, जो अब विश्व बैंक द्वारा स्वीकार किया गया एक सूचकांक है। इसके चार प्रमुख कारक हैं: सतत सामाजिक-आर्थिक विकास; एक जीवंत संस्कृति का संरक्षण; पर्यावरण संरक्षण और सुशासन। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) भी नागरिक केंद्रित परिणामों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका के अवसर, जैव विविधता की सुरक्षा और न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
20वीं सदी में आर्थिक विकास का जुनून सवार था, जिसके लिए पर्यावरण को होने वाली समानांतर क्षति, असमानताओं में वृद्धि या समुदायों के टूटने की परवाह नहीं की गई। 21वीं सदी में, एक अहसास है कि ऐसे विकास मॉडल टिकाऊ नहीं हैं और जरूरी नहीं कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें। असम में, ब्रिटिशों ने अपने आर्थिक लाभ के लिए चाय की खेती करने के लिए अभियान चलाया, विशेष रूप से ऊपरी असम में हरे-भरे वर्षा-वनों को नष्ट कर दिया। आज, पूर्व-चाय जनजातियों की आबादी बढ़ रही है, जिसके उत्पादन प्रक्रिया के मशीनीकरण के साथ बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। इसके साथ ही, चाय की खेती में उन देशों से प्रतिस्पर्धी दबाव है जहां असम की तरह ऐतिहासिक बाधाएं और लागत नहीं हैं।
यह उत्पादन के मूल्य को बनाए रखने और रोजगार प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र की क्षमता पर प्रभाव डालता है। इसी तरह, तेल और कोयले जैसे खनिजों के उत्खनन ने प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण को बढ़ा दिया है, हालांकि ये एक औद्योगिक भारत के लिए अमूल्य संसाधन प्रदान करते हैं। वर्तमान में अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर जोर देने और ज्ञात भंडार में कमी के साथ, असम में गैर-नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार की संभावना सीमित है। इनमें से कोई भी अभी “सूर्यास्त क्षेत्र” (पुराने क्षेत्र) नहीं कहा जा सकता है। फिर भी, यह उन विकल्पों की तलाश करने का समय है जो अधिक स्थायी आर्थिक विकास और आजीविका के अवसर प्रदान करते हैं।
असम और एनईआर में जैव विविधता और एक समृद्ध बहु-सांस्कृतिक विरासत का खजाना है। ‘अनुभवात्मक’ और ‘प्रकृति’ पर्यटन की वर्तमान मांग को देखते हुए इसमें काफी संभावनाएं हैं। राज्य द्वारा भारी निवेश की आवश्यकता नहीं है। इसे केवल समुदायों और व्यक्तियों द्वारा परिवहन कनेक्टिविटी, और सूक्ष्म क्षमता के निर्माण की सुविधा प्रदान करनी है। इसी तरह, हथकरघा उत्पाद अब हाशिए पर नहीं हैं, लेकिन समकालीन डिजाइनों और आपूर्ति शृंखलाओं पर मार्गदर्शन के साथ बड़े बाजार की राह पकड़ सकते हैं। आज आईसीटी क्षेत्र के निर्माण पर बहुत जोर दिया जा रहा है, जिसमें कई राज्य निर्बाध वैश्विक संपर्क के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहे हैं। असम पीछे नहीं रह सकता। वहीं, पारंपरिक कौशल की अभी भी जरूरत है। इस तरह के कौशल के निर्माण के लिए आईटीआई को उन्नत करने का एक विशेष प्रयास राज्य के स्कूल छोड़ने वाले युवाओं के बढ़ते समूह के लिए आजीविका के अवसर पैदा कर सकता है। एमएसएमई बड़े निवेशकों की तरह ग्लैमरस नहीं हैं, लेकिन बड़ी संख्या में परिवारों को, विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में, एक अच्छी आजीविका प्रदान करते हैं। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधारों से इस क्षेत्र के साथ-साथ बड़े निवेशकों को भी फायदे की जरूरत है। वित्त तक पहुंच और स्थानीय सरकारी मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी। असम का सौभाग्य है कि यहां उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थान हैं, चाहे आईआईटी हो या आरईसी या अन्य तकनीकी क्षेत्रों में और विश्वविद्यालय चाहे केंद्रीय हो या राज्यीय। इन्हें न केवल असम बल्कि बाहर भी समाधान प्रदान करने वाले नवाचार और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के केंद्र बनने के लिए मदद की जा सकती है।
दशकों की सामाजिक अशांति और उग्रवादी आंदोलनों के बाद, असम ने शांति के दौर में प्रवेश किया है। इसे प्राप्त करने में केंद्र के संसाधनों द्वारा समर्थित राज्य की पुलिस की भूमिका को इस वर्ष की शुरुआत में राष्ट्रपति कलर सम्मान के जरिये मान्यता दी गई थी। इसे पूरा करने के लिए सशस्त्र पुलिसिंग कौशल का निर्माण आवश्यक है और इसके परिणामस्वरूप सिविल पुलिसिंग पर कम ध्यान दिया जाता है। अब इसमें आमूल परिवर्तन की जरूरत है। एक पुलिस और आपराधिक न्याय प्रणाली जो नागरिक-उन्मुख है और समुदाय के साथ सक्रिय रूप से संलग्न है। अपराध को रोकने, पता लगाने और मुकदमा चलाने और यातायात की अत्यधिक विस्तारित दबाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आधुनिक क्षमताओं के साथ एक शुरुआत की गई है। ऐसे मॉड्यूल जो ‘सॉफ्ट-कौशल’ और इसके लिए आवश्यक अन्य प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
गुवाहाटी पूरे एनईआर का प्रवेश द्वार है। यह ‘स्मार्ट’ शहरों की सूची में सही है। यातायात प्रबंधन सहित नागरिक सेवाओं को यहां विश्व स्तरीय महानगर के लिए आवश्यक स्तरों तक अपग्रेड करने की आवश्यकता है। असम शहरी शासन संरचनाओं के साथ प्रयोग करने में भी अग्रणी हो सकता है जो अधिक से अधिक सार्वजनिक भागीदारी को सक्षम बनाता है। रोडमैप 2026 को प्राप्त करने में एक ‘संपूर्ण सरकार’ एकीकृत प्रयास निश्चित रूप से अच्छा है; प्रक्रिया के साथ ‘समाज के सभी’ के साथ जुड़ाव और भी बेहतर है!
“नेता की गति टीम की गति है”। असम में एक असाधारण ऊर्जावान नेता हैं, जो अपेक्षाकृत युवा होने के बावजूद सरकार में दशकों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने केंद्र के साथ एक उत्कृष्ट तालमेल भी स्थापित किया है, जो एक संघीय राजनीति में महत्वपूर्ण है। सफल हुए, तो उनकी विरासत एक रूपांतरित असम होगा।
(लेखक एनएसजी के पूर्व डीजी और असम पुलिस के पूर्व डीजीपी हैं।)