• About
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Subscribe to Newsletter
Friday, June 2, 2023
No Result
View All Result
  • Login
Asom Barta
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Archive
    • April 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • March 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • February 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Archive
    • April 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • March 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • February 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About
No Result
View All Result
Asom Barta
No Result
View All Result
Home Hindi Edition

पूरनीगोदाम में 121 साल पुरानी लकड़ी की दुर्गा प्रतिमा आध्यात्मिकता का केंद्र 

AB Bureau by AB Bureau
October 1, 2022
in Hindi Edition, खबरें राज्य से जुड़ीं
0
0
It is a unique convergence

असम के लोग पूरे साल दुर्गा पूजा का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह यहां बसने वाले लोगों के लिए बहु प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है। शरद ऋतु देश भर में त्योहारों के उत्सव की एक नई बयार लेकर आती है। हर तरफ हवा में उमंग और खुशी की फिजा। पूर्वी भारत में इसे दुर्गा पूजा कहते हैं तो देश  के अलग-अलग हिस्सों में इसे अन्य कई नामों से मनाया जाता है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक सिद्ध शक्तिपीठ  कामाख्या से लेकर सदिया, धुबड़ी और कछार तक इस समय पूजा उत्सव सार्वभौमिक प्रसंग है। 

इस त्योहार के प्रमुख आकर्षणों में से एक है मां दुर्गा की मूर्ति। कलाकारों द्वारा कैसे मां दुर्गा की मूर्ति को अस्तित्व में लाया जाता है यह सबसे अहम है और इसका पुराना इतिहास है। इन सबके बीच मध्य असम के नगांव जिले में एक मूर्ति अपने निर्माण और संरचना के कारण बाकी से अलग है। देशभर में जहां मां दुर्गा की मूर्तियां मिट्टी और घास से तैयार की जाती हैं, वहीं नगांव जिले के पुरनीगोदाम में यह मूर्ति लकड़ी से तैयार की गई है। वहीं, जहां हर साल मूर्तियां बनाई और दशहरे पर पानी में विसर्जित कर दी जाती हैं, पुरनीगोदाम की यह मूर्ति 1901 से समय की कसौटी पर खरी उतरी है, जब इसे पहली बार एक प्रसिद्ध नक्काशीकार लेशधर शर्मा ने बनाया था। उन्हें लेरेला खनिकर (लेरेला, मूर्तिकार) के नाम से भी जाना जाता है। देश की अन्य मूर्तियों से इस विशेष अंतर के कारण यह दुर्गा पूजा और जगह दोनों ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। 

किंवदंती है कि वह मूर्तिकार मूर्तियां बनाने के व्यवसाय में था। 1900 में एक बार, उन्होंने एक मूर्ति बनाई और अपने भाई दुर्गा शर्मा को स्थानीय लोगों को उसे 10 रुपये की राजसी कीमत में बेचने के लिए कहा। ऐसा कहकर वह पूजा करने के लिए नगांव के अमलापट्टी की यात्रा पर निकल गए, वह जगह तब ब्रिटिश हुकूमत में थी। चार दिन बाद जब वे  लौटे तो उस मूर्ति को अपने कारखाने में रखा पाया। उनके भाई ने बताया कि पैसों की किल्लत के कारण स्थानीय लोग यह मूर्ति खरीदने में असमर्थ हैं। मूर्तिकार को उस वक्त अपने काम की व्यर्थता का एहसास हुआ क्योंकि कोई भी उनकी बनाई मूर्ति खरीद ही नहीं पाया और उस मूर्ति को कोई खरीदार ही नहीं मिल सका। वहीं कुछ अन्य लोगों के पास बयां करने के लिए एक अलग ही दास्तां है। वे कहते हैं कि मूर्ति के विसर्जन से मूर्तिकार को पीड़ा होगी, दुख होगा कि उसकी कृति हमेशा के लिए जल में समा  गई और भविष्य के लिए उसकी रचनात्मकता की कोई निशानी ही नहीं बची। इसके बाद उन्होंने फैसला किया एक स्थायी मूर्ति रखने का, जिसे विसर्जित करने की जरूरत नहीं थी। इस तरह एक मूर्तिकार की रचना को हमेशा जीवित रखा जा सकता है।

उसी वर्ष, उन्होंने देवी दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिक व गणेश (भगवान शिव के पुत्र) की मूर्तियों को बेल के पेड़ की विशेष लकड़ी से बनाने का काम शुरू किया। शर्मा परिवार की चौथी पीढ़ी के वंशज योगेंद्र शर्मा ने बताया, “मेरे पिता ने मुझे बताया कि हमारे घर के पिछवाड़े में एक बगीचा था, जहां विशाल बेल के पेड़ थे। क्योंकि इस पेड़ की लकड़ी में एक विशेष गुण है, मेरे परदादा ने इन मूर्तियों को बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करने का फैसला किया। आगे उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वह सही थे। आज 121 साल बाद भी इन मूर्तियों को कुछ भी नहीं हुआ। लेकिन राक्षस महिषासुर की मूर्ति बनाने के लिए, उन्होंने लकड़ी के एक टुकड़े का इस्तेमाल किया, जो उन्हें मंदिर के बगल में कोलोंग नदी में तैरता हुआ मिला था। इस बारे में कई लोग कहते हैं, मूर्ति बनाने से एक रात पहले सपने में उन्हें यह तैरता हुआ टुकड़ा दिखाई दिया था। 

2001 में इस मूर्ति के निर्माण के शताब्दी वर्ष में लेखक और साहित्यकार मामोनी रायसम गोस्वामी मंदिर आईं और उन्होंने अपने अनुभव के बारे में लिखा: मैं लकड़ी से तराशी गई इन मूर्तियों को देखकर अभिभूत हूं। यह अतियथार्थवादी है। मैं इन्हें बनाने वाले के सम्मान में अपना सिर झुकाती हूं। यह हमेशा मेरे जीवन में एक अलग तरह की याद होगी।

मूर्तियों के संरक्षण का भी अपना एक अलग इतिहास होता है। इस मूर्ति का भी है। पूजा समाप्त होने के तुरंत बाद, शर्मा परिवार जुगनू मिट्टी से बने एक विशेष पेस्ट का उपयोग करता था, जिसे बाद में इन मूर्तियों को ढकने के लिए एक कपड़े पर रगड़ा जाता था। फिर इन मूर्तियों को अगली पूजा आने तक उनके घर में रखा जाता है। अगली पूजा से कुछ पहले इन मूर्तियों को निकाला जाता है और नए सिरे से इनमें रंग भरा जाता है। भक्तों द्वारा दान किए गए नए कपड़ों से इन्हें सजाया जाता है। 

वरिष्ठ नागरिक एवं एक स्कूल के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक पुलिन हजारिका कहते हैं, इस पूजा ने हमें असम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दुनिया में एक अनूठा स्थान दिया है। पूजा के दिनों में यह स्थान संस्कृति और आस्था का संगम स्थल बन जाता है। सभी धर्मों के लोग आते हैं और दान करते हैं। हम आमतौर पर इस पूजा के आयोजन के लिए पैसे नहीं लेते हैं। 

इस दुर्गा पूजा के बढ़ते महत्व व लोकप्रियता को देखते हुए आयोजकों ने 1996 में इस परिसर में एक बाल पुस्तक मेला भी शुरू किया। असम में कहीं भी आयोजित होने वाले पहले बाल पुस्तक मेले का इसे श्रेय मिलता रहा है। बाल साहित्य के प्रति उत्साही दुलाल बोरा कहते हैं, 1996 से लगातार यह मेला  आयोजित किया जा रहा है। यहां तक कि कोविड के दौरान, इसे ऑनलाइन आयोजित किया गया था, हालांकि तब इसका पैमाना बहुत छोटा था। जहां तक मुझे पता है, असम में यह पहला बच्चों का पुस्तक मेला है। हम चाहते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों को खिलौने और पिस्तौल के बजाय किताबें दें। इस पुस्तक मेले ने इस जगह पर साहित्य, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक मिश्रण तैयार किया है।

हालांकि, कुछ लोग चिंतित भी हैं, उनका मानना है कि अगर वैज्ञानिक संरक्षण पद्धति का उपयोग नहीं किया गया तो इस सुखद कहानी का अंत बेहद दुखद हो सकता है। पूजा समिति के अध्यक्ष मिंटू शर्मा कहते हैं, भले ही हम पूजा के बाद इन मूर्तियों को मंदिर के एक कमरे में रखते हैं। फिर भी, इनके चोरी होने, प्राकृतिक या किसी अन्य कारण से क्षतिग्रस्त होने का डर हमें निरंतर सताता रहता है। हम चाहते हैं कि असम सरकार हमारी मदद करे। हमने असम दर्शन योजना के तहत अनुदान के लिए आवेदन भी किया है। हम आशान्वित हैं कि हमें मदद मिलेगी। 

ShareTweetShare

Related Posts

गुणोत्सवः सरकारी स्कूलों का कायाकल्प
असम प्रगति के पथ पर

गुणोत्सवः सरकारी स्कूलों का कायाकल्प

May 12, 2023
3
असम-अरुणाचल समझौताः दशकों के विवाद का अंत, शांति के नये युग का सूत्रपात 
केंद्रीय पहल

असम-अरुणाचल समझौताः दशकों के विवाद का अंत, शांति के नये युग का सूत्रपात 

May 12, 2023
3
स्वास्थ्य सेवा उत्सव
खबरें राज्य से जुड़ीं

स्वास्थ्य सेवा उत्सव

May 12, 2023
9
मुख्यमंत्री ने उदालगुड़ी, रंगिया में परियोजनाओं का किया अनावरण
खबरें राज्य से जुड़ीं

मुख्यमंत्री ने उदालगुड़ी, रंगिया में परियोजनाओं का किया अनावरण

May 12, 2023
3
कामाख्या कॉरिडोर के जीर्णोद्धार की तैयारी 
खबरें राज्य से जुड़ीं

कामाख्या कॉरिडोर के जीर्णोद्धार की तैयारी 

May 12, 2023
5
गामोछा पर जीआई सर्टिफिकेट
खबरें राज्य से जुड़ीं

गामोछा पर जीआई सर्टिफिकेट

May 12, 2023
2
Load More

By Categories

  • Anniversary Special
  • Assam Budget Special
  • Assam on the Move
  • Best Practices of the States
  • Border Vibes
  • Centre Connects
  • Changemaker
  • Citizen Corner
  • Economy & Finance
  • Editorial
  • English Edition
  • Entrepreneurship
  • Glimpses
  • Hindi Edition
  • INTERVIEW
  • LACHIT DIWAS SPECIAL
  • Lead Story
  • MLA's SPEAK
  • Musings of a Chief Minister
  • News From The State
  • Perspective
  • Special Article
  • Special Feature
  • असम प्रगति के पथ पर
  • असम बजट विशेष
  • आमुख कथा
  • उद्यमिता
  • कानून व्यवस्था
  • केंद्रीय पहल
  • खबरें राज्य से जुड़ीं
  • जनसंपर्क
  • नज़रिया
  • परिवर्तक
  • बिधायक की राय
  • मुख्यमंत्री के विचार
  • राज्यों की बेहतरीन पहल
  • लाचित दिवस विशेष
  • वर्षगांठ विशेषांक
  • वित्त एवं अर्थ व्यवस्था
  • विशेष आलेख
  • विशेष लेख
  • संपादकीय
  • सीमा विवादः पटाक्षेप का प्रयास
  • অনিৰুদ্ধ অসম
  • অন্যান্য ৰাজ্যৰ বাৰ্তা
  • অসম বাজেট বিশেষ
  • অসমীয়া
  • উদ্যমিতা
  • কেন্দ্ৰ-ৰাজ্য সংবাদ
  • জনসম্পৰ্ক
  • দৃষ্টিভংগী
  • প্ৰথম পৃষ্ঠা
  • প্ৰথম বাৰ্তা
  • বৰ্ষপূৰণ বিশেষ
  • বাটকটীয়া
  • বিত্ত আৰু অৰ্থনীতি
  • বিধায়কৰ বাৰ্তা
  • বিশেষ নিবন্ধ
  • বিশেষ বাৰ্তা
  • মুখ্যমন্ত্ৰীৰ বাৰ্তা
  • লাচিত দিৱস বিশেষ
  • সম্পাদকীয়
  • সাক্ষাৎকাৰ
  • সীমান্ত বাৰ্তা
Asom Barta

Asom Barta is Published and Distributed by Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

Our Social Media

  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Subscribe to Newsletter

© 2022 Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

No Result
View All Result
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Archive
    • April 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • March 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • February 2023
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About

© 2022 Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In