प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जनता की भागीदारी ने असम में बेहतरी के लिए बदलाव की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि जन आंदोलन ने असम की सांस्कृतिक विरासत और उसके गौरव की रक्षा की है और यह आंदोलन ही अब राज्य के विकास की कहानी का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने यह बात स्थानीय दैनिक दैनिक अग्रदूत की यात्रा को याद करते हुए कही, जिसने हाल ही में अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में कदम रखा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अखबार को ‘असमिया भाषा में पूर्वोत्तर की मजबूत आवाज’ करार दिया और एकता और सद्भाव के मूल्यों को जीवित रखने के लिए इसकी सराहना की।
उन्होंने कहा कि अखबार ने अपने संस्थापक संपादक कनक सेन डेका के मार्गदर्शन में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, आपातकाल के दौरान भी, जब लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ, (दैनिक) अग्रदूत दैनिक और डेका जी ने पत्रकारिता मूल्यों से समझौता नहीं किया। उन्होंने मूल्य आधारित पत्रकारिता की एक नई पीढ़ी का निर्माण किया।”
पीएम मोदी ने ऑनलाइन संबोधन में कहा, असम ने भारत में भाषा पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य पत्रकारिता की दृष्टि से अत्यंत जीवंत स्थान रहा है। 150 साल पहले असमिया भाषा में पत्रकारिता शुरू हुई और समय के साथ मजबूत होती गई।
असम वार्ता से बात करते हुए, कनक सेन डेका ने कहा कि असमिया समाज 1979 के असम आंदोलन के बाद एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है। यहां पत्रकारिता करते हुए इस दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा, उनके कैबिनेट सहयोगी राज्य के कृषिमंत्री अतुल बोरा, स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत, जल संसाधन और आई एंड पीआर मंत्री पीयूष हजारिका भी उपस्थित थे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि कनकसेन डेका ने ‘दैनिक अग्रदूत’ को असमिया समाज की संपत्ति के रूप में तब्दील कर दिया है।