मोइना दे दो लड़कियों की मां हैं। उनमें से एक 23 साल की है जो शारीरिक रूप से विकलांग है, जबकि दूसरी 18 साल की है और वो गुवाहाटी से लगभग 63 किलोमीटर दूर मोरीगांव जिले के मायोंग विकास खंड के डांगाबोरी गांव में रहती है। विभिन्न कठिनाइयों के बीच वर्षों से जीवन काटती आ रही मोइना के लिए आखिरकार मई का दिन खुशियों की सौगात लेकर आया और बन गया एक विशेष और यादगार दिन। जी हां, महीनों के प्रयासों के बाद, आखिरकार उसने अपने सपनों के घर में प्रवेश किया । मालूम हो कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमएवाई जी) के तहत उसे एक पक्का घर आवंटित किया गया।
असम वार्ता से बातचीत करते हुए मोइना ने कहा, आज मैं अभिभूत हूं। पहले, मुझे भारी बारिश के दौरान अपनी बड़ी बेटी की गतिविधियों को संभालने में बहुत परेशानी से गुजरना पड़ता था। मुझे लगता है कि अब मैं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हूंl
वहीं इसी जिले और विकासखंड के बागजाप गांव पंचायत अंतर्गत दयान बेलगुरी गांव की नोनिप्रभा सैकिया और निवेदिता सैकिया ने भी इस योजना के तहत अपने मकान आवंटित होने की खुशी में गृह प्रवेश समारोह का आयोजन किया।
नोनीप्रभा ने भी कठिन समय देखा है, खासकर 2007 में अपने पति को खोने और अपनी इकलौती बेटी की शादी करने के बाद उसे कठिन दौड़ से गुजरना पड़ा। कच्चे घर में अकेले रहते हुए बरसात के मौसम में मुश्किलें बढ़ जाती थीं, लेकिन कोई मदद नहीं कर पाता था। नोनीप्रभा ने अपनी आकांक्षा जाहिर करते हुए कहा, “जब मुझे योजना के तहत 32,500 रुपये की पहली किश्त मिली, तो मैंने ऐसे समय का सपना देखना शुरू कर दिया कि जब मेरी बेटी यहां रहने के लिए आएगी, तो मैं एक पक्के घर में उसका स्वागत कर सकूंगी।”
वहीं इस गांव से लगभग 117 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुत्र के उत्तरी किनारे पर सिपाझार विकास खंड के अंतर्गत घोड़ाधा गांव के निवासी अकरामुल हक और अनवर हुसैन भी इसी वजह से जश्न मना रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 2024 तक “सभी के लिए आवास” का लक्ष्य रखा है, और तदनुसार पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग पीएमएवाई जी के तहत निर्धारित लक्ष्यों को शीघ्रता से क्रियान्वित कर रहा है।
पीएमएवाई जी योजना के तहत लाभार्थी सिपाझार विकास खंड के अंतर्गत पश्चिम चुबा गांव के जामिनी नाथ ने असम वार्ता के समक्ष उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि यह पक्का घर उनके दो बेटों की किस्मत बदल देगा। उनके लिए मानसून के दौरान अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना हमेशा एक चुनौती थी। अब, उनके सिर पर पक्की छत, बिजली, शौचालय और गैस कनेक्शन होने के कारण, उन्हें बारिश के पानी के रिसाव के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं हैl
उल्लेखनीय है कि योजना के तहत लाभार्थियों को प्रत्येक मकान के लिए 1.30 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें मनरेगा के तहत अकुशल श्रम के लिए प्रति दिन 90.95 रुपये प्रदान किए जाते हैं, जबकि मनरेगा या अन्य योजनाओं के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रुपये तक की अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है। भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से सीधे बैंक खातों या डाकघर खातों में किया जाता है जो आधार से जुड़े होते हैं।
लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के मापदंडों का उपयोग करके की जाती है और असम के लिए 25 सितंबर, 2020 के संशोधन के आधार पर ग्राम सभाओं द्वारा सत्यापित किया जाता है।
दरंग जिला परिषद के कार्यकारी अभियंता भाबेन बर्मन का कहना है कि वे निर्माण प्रक्रिया का निरीक्षण करते हैं जबकि ग्राम पंचायतों के संयोजक इन घरों के निर्माण के दौरान जियो-टैगिंग तकनीक का उपयोग करते हैं। बाद में, प्रमाणित इंजीनियर इन घरों की समग्र निर्माण गुणवत्ता का निरीक्षण करते हैं।
जिला परिषद के सीईओ मानस दास का कहना है, “प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के उपयोग के साथ, हम किसी भी बिचौलिए की भूमिका को दूर करने में कामयाब रहे हैं। निर्माण की पूरी जिम्मेदारी अब लाभार्थियों की है। वह अपनी आवासीय इकाइयों के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री का चयन कर सकता है।” दास ने संवाददाता को बताया कि दरंग जिले में 71,556 आवासीय इकाइयां आवंटित की गई हैं, जबकि 47,955 इकाइयों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है।
मोरीगांव जिला परिषद के सीईओ खितिश पेगु ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उनके जिले को योजना के तहत 92,072 इकाइयां आवंटित की गई हैं, जबकि 56,937 आवासीय इकाइयां पहले ही बनाई जा चुकी हैं। पेगु ने साथ ही कहा, ”हम सभी किश्तों को समय पर जारी करने और निर्माण की गुणवत्ता के सख्त अनुपालन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।”
दरंग जिला अंतर्गत बुरहिनगर गाँव पंचायत के चमटियापारा में एक और लाभार्थी सब्या कलिता हैं। 2016 में अपने पति को खोने के बाद, 66 साल की उम्र में कलिता को अपने पक्के घर के रूप में खुश होने का एक नया कारण मिला। पिछली बरसात के मौसम में काफी नुकसान झेलने के बाद, वह कहती हैं कि एक पक्का घर उनके दिमाग में आखिरी चीज थी। हालाँकि, इस साल, वह बाढ़ से बचने के लिए मौसम देवताओं से प्रार्थना कर रही है, और इसके बजाय उसे मछली पालन से भरपूर उपज के साथ-साथ अच्छी फसल होने की उम्मीद है।