देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पूर्वोत्तर राज्य असम के प्रेम में पड़ गए हैं। इस प्यार का इजहार उन्होंने हाल ही में यहां एक आयोजन में शामिल होने के दौरान किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की यह छोटे अंतराल में असम की दूसरी यात्रा थी। इससे पहले वह अहोम जनरल लचित बोरफुकान की 400 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में असम आए थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मई के पहले हफ्ते में असम के बक्सा जिले के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा के 61वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए फिर से राज्य में थे।
राष्ट्रपति ने बोडो भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूत करने में में पिछले 70 वर्षों से अमूल्य योगदान देने के लिए बोडो साहित्य सभा की सराहना की। उन्होंने कहा, स्थानीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन समाज और सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने असम सरकार से बोडो भाषा को बढ़ावा देने के प्रयास करने की अपील की।
राष्ट्रपति ने बोडोफा उपेंद्र नाथ ब्रह्मा और उनके जियो और जीने दो के संदेश को याद किया। कोविंद ने कहा, बोडो स्वाभिमान के प्रति जागरूक रहते हुए सभी समुदायों के साथ सद्भाव बनाए रखने का उनका संदेश हमेशा प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने क्षेत्र में सद्भाव और शांति कायम करने के लिए केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों की भी प्रशंसा की।
इस मौके पर असम के राज्यपाल प्रो जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, असम विधान सभा के अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी, असम के कैबिनेट मंत्री यूजी ब्रह्मा आदि उपस्थित थे।
तेजपुर विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रथम महिला के साथ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का भी दौरा किया।