प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वंम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि भारत का पूर्वोत्तर पूरे भारत से जुड़ा हो। केंद्र और पूर्वोत्तर इलाके की बीच की दूरियां पाटने और उसको विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए उन्होंने कई अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। इस प्रयास के तहत लगभग 33 केंद्रीय मंत्रियों ने डॉ हिमंत बिस्वा सरमा की नई सरकार के पदभार ग्रहण करने के बाद से असम का दौरा किया है। मानो नई सरकार के लिए साल की समाप्ति के लिए प्रधानमंत्री ने खुद अप्रैल के आखिरी सप्ताह में असम का दौरा किया और दीफू में एक रैली में राज्य को केंद्र के समर्थन को दोहराते हुए असम के लोगों को कई कैंसर अस्पताल समर्पित किए। प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों पर मंत्रियों और नौकरशाहों का लगातार आवागमन और कतारबद्ध होने का संदेश साफ है कि केंद्र परवाह करता है।
जल जीवन मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अटल अमृत अभियान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री पोषण, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री जन धन योजना, उज्जवला योजना के साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना राज्य के कोने-कोने में दिखाई दे रही है।
नतीजा यह है कि कभी उपेक्षित किया गया क्षेत्र आज गुलजार है। इन यात्राओं के परिणामस्वरूप अधिकारियों को जमीनी हकीकत की एक तस्वीर प्रदान करते हुए केंद्र प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा की गई है।
प्रधानमंत्री इस क्षेत्र को ‘अष्टलक्ष्मी’ बताकर राज्यों में मंत्रियों और सरकार पर प्रोत्साहित कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक स्कूल शिक्षक कहते हैं
“ये केवल शब्द नहीं हैं क्योंकि लोगों ने विकास को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। असम को ब्रह्मपुत्र पर आठ नए पुल मिले, जिनमें बहुप्रतीक्षित भूपेन हजारिका सेतु (ढोला-सादिया ब्रिज) और बोगीबील ब्रिज शामिल हैं।”
मानो असम को उसके महत्वपूर्ण स्थान पर ले जाने के लिए स्वंम गृह मंत्री अमित शाह 9 मई को राज्य सरकार के कार्यालय में सरकार की प्रथम वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पधार रहे हैं।
वित्त, बिजली, कपड़ा, पेट्रोलियम, जल शक्ति, आयुष, बंदरगाह, जहाजरानी, भारत के जलमार्ग, नागरिक उड्डयन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भी इस इलाके में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं।