राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के सहयोग से हाल ही में गुवाहाटी में “मध्यावधि समीक्षा और आपदा मित्र योजना की सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रलेखन” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का उद्देश्य भाग लेने वाले परियोजना राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को योजना के कार्यान्वयन में अपने अनुभवों, चुनौतियों को साझा करने और अंतराल की पहचान करने और योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए मध्य-पाठ्यक्रम सुधार करने का अवसर प्रदान करना था।
उद्घाटन समारोह में आपदा मित्र के लिए एक थीम गीत लॉन्च किया गया, जिसके बाद तीन सत्रों को उत्तर पूर्वी/पहाड़ी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, मैदानी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिसमें प्रत्येक श्रेणी के तहत भाग लेने वाले राज्यों ने अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं, चुनौतियों और सफलता की कहानियों को प्रस्तुत किया। कार्यशाला का समापन देश भर में आपदा मित्रों के लिए बीमा नीति पर चर्चा के साथ हुआ, इसके बाद विभिन्न एसडीएमए की सामुदायिक स्तर की पहल और राज्यों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक पैनल चर्चा हुई। असम, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय सहित भारत भर के कुल मिलाकर 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने कार्यशाला में भाग लिया। इनमें पुडुचेरी, कर्नाटक, चंडीगढ़, केरल, पंजाब, गोवा, मिजोरम, राजस्थान, उत्तराखंड, ओडिशा, लद्दाख, दिल्ली, हरियाणा, दादरा और नगर हवेली और दमन व दीव और बिहार भी शामिल थे।
असम वार्ता से बात करते हुए एएसडीएमए के परियोजना अधिकारी किशोर दत्ता ने कहा कि 2017 में शुरू की गई इस परियोजना के तहत अब तक 2,367 आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किया जा चुका है ताकि स्वयंसेवकों को प्राकृतिक आपदाओं के समय अपनी सेवाएं देने का अवसर मिल सके।
दत्ता ने बताया, पायलट परियोजना तब कामरूप (महानगरीय) और जोरहाट जिलों में शुरू की गई थी, जिसमें 400 स्वयंसेवकों ने भाग लिया था। हम मार्च 2024 तक असम के 16 जिलों में 3,900 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करेंगे। इन स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए असम में परियोजना के तहत छह प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं।
दत्ता ने इस संवाददाता को बताया कि स्वयंसेवकों ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जवानों की सहायता करके इस वर्ष बाढ़ में अनुकरणीय सेवाएं प्रदान की हैं। कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में असम सरकार के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन, एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह; बिस्वरंजन सामल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, असम सरकार; कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सचिव, एनडीएमए व अन्य उपस्थित रहे।