पलाशबाड़ी से मिर्जा होते हुए चंदूबी तक की यात्रा एक खास अनुभव है। इस लंबी यात्रा के दौरान हरियाली भरा नजारा ही नहीं बल्कि शनदार राजमार्ग भी है, जो आज शहर में चर्चा का विषय है। दो साल की समय सीमा से पहले विकसित और पूरी की गई सड़क आज देश में सबसे अच्छी गुणवत्ता के अनुरूप निर्माण का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। 222 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, इस 27.97 खंड की परिकल्पना और क्रियान्वयन लोक निर्माण सड़क विभाग की असम माला परियोजना के तहत किया गया था।
असम माला आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में सड़क के बुनियादी ढांचे में सुधार और असम विजन 2030 को प्राप्त करने के लिए विभाग के दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य का हिस्सा है।
पलाशबाड़ी के रहने वाले अनिल कलिता (58) उन लोगों में शामिल हैं, जो सड़क और विभाग के बारे में अपने अनुभव को साझा करने से खुद को नहीं रोक पा रहे हैं। उन्होंने असम वार्ता से कहा, हम इस सड़क के निर्माण के बाद सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं। आप इस सड़क के उत्तरी किनारे पर कुछ ही मीटर की दूरी पर बहती शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र को देखते हैं। हुदुमपुर अब एक लोकप्रिय सेल्फी प्वाइंट है और तेजी से पिकनिक स्पॉट बनता जा रहा है। जमीन की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं जबकि क्षेत्र में निवेश बढ़ गया है। हम इन बड़े क्षेत्रों में और अधिक विकास की उम्मीद करते हैं। कवींद्र चंद्र कलिता मिर्जा चौक में एक फार्मेसी चलाते हैं। उनका मानना है कि उन्होंने क्षेत्र का जो विकास देखा है वह अभूतपूर्व है। मिर्जा चौक तेजी से शहरी क्षेत्र बनता जा रहा है। पिछले 20 वर्षों में मैंने इस क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों को कभी नहीं देखा, जैसा कि इस सड़क के निर्माण के बाद अब देख रहा हूं।
यह विचार कि बेहतर सड़कें और बुनियादी ढांचे से आर्थिक विकास होगा, विभाग के लिए प्रेरक शक्ति है। राज्य लोक निर्माण विभाग सह असम माला परियोजना के नोडल अधिकारी कार्यकारी अभियंता दिगंत गोस्वामी ने कहा, असम माला योजना के तहत, हमने न केवल राज्य के प्रमुख क्षेत्रों में सड़क संपर्क प्रणाली में सुधार करने बल्कि समग्र आर्थिक विकास का भी लक्ष्य रखा है। असम माला कार्यक्रम कल्पना समय से ही हमेशा इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए होता था। यह न केवल राज्य सरकार का एक महत्वाकांक्षी और विशाल दीर्घकालिक सड़क अवसंरचना विकास कार्यक्रम है, बल्कि इसके दायरे में कई बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) को शामिल करना भी है। इसके तहत कुछ परियोजनाएं उल्लेखनीय हैं जैसे एशियाई विकास बैंक (एडीबी)-सहायता प्राप्त असम रोड नेटवर्क इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (एआरएनआईपी), एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी)-सहायता प्राप्त असम सेकेंडरी रोड नेटवर्क इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (एएसआरआईपी), आदि। सभी ये न केवल तेज सड़क संचार, बेहतर जीवन स्तर की ओर ले जा रहे हैं बल्कि सरकार की ओर से लोगों की सुविधा मुहैया कराने की क्षमता में एक नया विश्वास भी पैदा कर रहे हैं।
लोहारघाट राजकीय एमवी स्कूल के हेड मास्टर हरेन चंद्र नाथ आज एक खुशहाल व्यक्ति हैं। नाथ ने असम वार्ता को बताया, अब हमारे पास बहुत अच्छी सड़क है। लोकप्रिय पर्यटन स्थल संडुबी को जाने वाली यह सड़क विकास की ओर ले जाएगी। कुछ समय पहले की अराजकता वाली स्थिति अब इतिहास बन चुकी है। हम यहां निवेशकों को जमीन तलाशते हुए देखते हैं। कई अकादमिक संस्थान हमारे क्षेत्र में अपने नए सेट-अप पर विचार कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसा ही होगा।
असम माला परियोजना के तहत, हमने न केवल सड़क संचार प्रणाली में सुधार बल्कि समग्र आर्थिक विकास के लिए राज्य के प्रमुख क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण लक्ष्य रखा है।”
दिगंत गोस्वामी, कार्यपालक अभियंता, राज्य लोक निर्माण विभाग सह नोडल अधिकारी, असम माला परियोजना
देवपानी जैसे गांव जहां राभा बहुसंख्यक हैं, सुपारी, अदरक और झाडू़ का केंद्र हैं। स्थानीय लोग बेहतर बिक्री और अधिक आय की सूचना दे रहे हैं। सड़क ने कमल राभा (40) जैसों को ग्रेटर देवपानी और लोहारघाट क्षेत्र से रेत के कई ट्रक भेजने में मदद की है, यह कुछ ऐसा जो कुछ महीने पहले अकल्पनीय था। सड़क बनने से ढाबा मालिक रोबिन की आमदनी भी लगभग दोगुनी हो गई है।
राज्य पीडब्ल्यूडी, दक्षिण कामरूप टेरिटोरियल रोड (पलासबाड़ी-मिर्जा) डिवीजन के कार्यकारी अभियंता कार्तिक बिस्वास ने कहा कि पूरे खंड को अत्यंत सावधानी के साथ बनाया गया था, और उन्हें खुशी है कि स्थानीय लोगों को असम माला से लाभ हुआ है।