असम और पूर्वोत्तर राज्यों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव अभियान में उनका पूरा साथ दिया। असम के विधायकों ने नये राष्ट्रपति को 104 वोट दिए, जो इस बात का संकेत है कि उन्हें पार्टी लाइन से ऊपर उठकर समर्थन मिला था।
इससे पहले, उन्होंने 11 जुलाई को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक रिसॉर्ट के पास सिक्किम के विधायकों के साथ बैठक करने के अलावा, पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों में जमकर प्रचार किया था।
वह मणिपुर और त्रिपुरा का दौरा करने के बाद केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ 5 जुलाई की शाम को गुवाहाटी पहुंचीं। हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा और उनके कुछ कैबिनेट सहयोगियों ने उनका स्वागत किया।
राज्य की उनकी दो दिवसीय व्यस्ततम यात्रा में कई कार्यक्रम थे । 6 जुलाई को उन्होंने गुवाहाटी लौटने के लिए अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मेघालय का दौरा किया। बाद में, 7 जुलाई को वह मिजोरम गईं और दोपहर बाद शहर लौटीं, जहां उन्होंने एक होटल में असम के सांसदों और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ-साथ इसके गठबंधन सहयोगियों एजीपी और यूपीपीएल से मिलने से पहले कामाख्या मंदिर का दौरा किया। इस दौरान बीपीएफ के तीन विधायक भी मौजूद थे, जो असम में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा भी थे।
उन्हें भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण द्वारा शपथ दिलाई गई। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने देश के सर्वोच्च सांविधानिक पद पर आसानी होने वाली पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिनंदन किया। वे ट्विटर पर उन्हें सबसे पहले बधाई देने वाले लोगों में शामिल थे।
असम के 104 विधायकों ने मुर्मू के लिए वोट किए
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान द्रौपदी मुर्मू द्वारा हासिल कुल वोट में असम के 126 संभावित विधायकों में से 104 विधायकों का उन्हें समर्थन हासिल हुआ।