एक अविस्मरणीय क्षण…एक ऐतिहासिक तस्वीर…असम सरकार ही नहीं, पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि… जब दो पड़ोसियों ने अपने 50 साल पुराने विवाद पर विराम लगाने और जनता के हित तथा राज्य की प्रगति के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। सीमा विवाद पर पटाक्षेप के इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे।
इस मौके को गृहमंत्री ने ऐतिहासिक करार दिया। उनके विभाग ने ही इस समझौते को मंजूरी दी थी। असम और मेघालय 733 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। दोनों राज्यों के बीच 12 विवादित स्थल हैं जिनमें से 6 पर सहमति बन गई है।
असम और मेघालय के बीच समझौते के महज कुछ ही दिन बीते थे कि सीमाई क्षेत्र पर एक और पहल हुई। इस बार पड़ोसी अरुणाचल प्रदेश था। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के बीच गुवाहाटी में बैठक हुई। दोनों नेताओं ने लंबे समय से जारी सीमा विवाद को समयबद्ध तरीके से निपटाने के लिए 12 जिला स्तरीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया।
जनवरी 2021 में इस मुद्दे पर आधिकारिक चर्चा के कुछ महीने बाद ही दोनों नेताओं के बीच यह बैठक हुई थी। जिला कमेटी मुद्दे के वास्तविक समाधान के लिए विवादित स्थलों का संयुक्त सर्वे करेगी। वर्षों से लंबित इस मुद्दे के समाधान के लिए कमेटी ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, जातीयता, समीपता, लोगों की इच्छा और दोनों राज्यों की प्रशासनिक सहूलियतों को मद्देनजर रखेगी।
असम के मुख्यमंत्री ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के बाद ट्वीट किया। इससे पहले, अगस्त, 2021 को डॉ. शर्मा ने राज्य विधानसभा में कहा था कि अरुणाचल प्रदेश के साथ कम से कम 1200 जगहों पर विवाद है।
असम और पूर्वोत्तर के उसके चार पड़ोसियों मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के बीच सीमा विवाद इतिहास की देन है। वास्तव में इन राज्यों के बीच कभी सही से सीमा का निर्धारण हुआ ही नहीं। असम और नगालैंड 434 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। वहीं, असम दक्षिण में स्थित अपने पड़ोसी मिजोरम के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।