राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव को दिल्ली-एनसीआर के निवासियों और दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर), पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी) और इन्वेस्ट इंडिया द्वारा पहली बार 6 से 8 दिसंबर तक आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव ने पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विविधता और जीवंतता को प्रदर्शित किया, जिसमें इस क्षेत्र के शिल्प, कला और सांस्कृतिक विरासत को भव्य व्यावसायिक तरीके से उजागर किया गया।
पूर्वोत्तर के आठ राज्य, जिन्हें अक्सर ‘अष्टलक्ष्मी’ या समृद्धि के आठ रूप कहा जाता है, भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षितिज में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “पूर्वोत्तर भारत की ‘अष्टलक्ष्मी’ है।” प्रधानमंत्री ने अष्टलक्ष्मी महोत्सव को पूर्वोत्तर के उज्जवल भविष्य का उत्सव बताया।
उन्होंने कहा कि यह महोत्सव विकास के नए सवेरे का पर्व है, जो ‘विकसित भारत’ के मिशन को आगे बढ़ाने का प्रतीक है।
मोदी ने कहा, “असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम, उत्तर पूर्व के इन आठ राज्यों में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि 21वीं सदी भारत की है। “21वीं सदी पूर्व की है, एशिया की है, पूर्व की है, भारत की है। ऐसे में मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत में आने वाला समय भी पूर्वी भारत का है, हमारे उत्तर पूर्व का है। उन्होंने कहा, पिछले दशकों में हमने बंगलूरू, मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई जैसे बड़े शहरों का उदय देखा है…आने वाले दशकों में हम अगरतला, गुवाहाटी, गंगटोक, आइजोल, शिलांग, ईटानगर, कोहिमा जैसे शहरों में नई संभावनाएं देखेंगे। अष्टलक्ष्मी जैसे आयोजन इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम भावना, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी की इस ‘त्रिवेणी’ से पूर्वोत्तर को जोड़ रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “पूर्वोत्तर में हम सिर्फ बुनियादी ढांचे का निर्माण ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि भविष्य के लिए मजबूत आधार भी तैयार कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। यहां खनिज, तेल और जैव विविधता का अद्भुत संगम है। यहां अक्षय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। यह धनलक्ष्मी पूर्वोत्तर के लिए वरदान है।” उन्होंने कहा, “हमारा पूर्वोत्तर प्राकृतिक खेती और बाजरा के लिए प्रसिद्ध है। हमें गर्व है कि सिक्किम पहला ऐसा राज्य है जो जैविक राज्य है।” इस अवसर पर केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के उनके समकक्ष मौजूद थे। तीन दिवसीय महोत्सव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्र की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। महोत्सव ने क्षेत्र के जीवंत वस्त्र उद्योग, हस्तशिल्प और अद्वितीय भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक अभूतपूर्व मंच प्रदान किया।
निर्देशक प्रसाद बिदापा द्वारा पूर्वोत्तर के शीर्ष डिजाइनरों जैसे अरुणाचल प्रदेश से जेनजुम गादी, असम से प्रियंका डी. पटवारी, मेघालय से डैनियल सईम, मणिपुर से रिचाना खुनमनथेम, मिजोरम से पेट्रीसिया जेडेंग, नगालैंड से बांबी केविचुसा, सिक्किम से कर्मा सोनम भूटिया और त्रिपुरा से ज्योत्सना देबबर्मा के साथ एक विशेष फैशन शो का कोरियोग्राफ किया गया, जिसमें पारंपरिक वस्त्रों के साथ समकालीन डिजाइन के मिश्रण वाले शानदार परिधान – मूंगा सिल्क गाउन और एरी सिल्क स्टोल – सभी के आकर्षण का केंद्र बने। कार्यक्रम का एक अन्य मुख्य आकर्षण पूर्वोत्तर भारत के छिपे हुए रत्नों जैसे शेरगांव, अरुणाचल प्रदेश, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम, मोइरांग, मणिपुर, सोहरा, मेघालय, थेनजोल, मिजोरम, नामची, सिक्किम, किसामा गांव, नगालैंड और माताबारी, त्रिपुरा के माध्यम से एआर-वीआर इमर्सिव वर्चुअल यात्रा थी। तकनीकी सत्र और गोलमेज निवेश मंच आयोजित किए गए, जहां निवेशकों ने राज्य के प्रतिनिधियों, उद्योग जगत के नेताओं और उद्यमियों से मुलाकात की और कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों, पर्यटन और आतिथ्य, शिक्षा और कौशल विकास में निवेश के अवसरों पर चर्चा की।
पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों ने अपने निवेश के अवसरों को प्रस्तुत किया और निवेशकों के समक्ष प्रमुख क्षेत्रों में निवेश के लिए तैयार परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। पूर्वोत्तर डाक टिकट मंडप ने क्षेत्र के समृद्ध डाक इतिहास को प्रदर्शित किया।