प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या धाम में आयोजित होने वाले वार्षिक अंबुबाची मेले का 26 जून को गुवाहाटी में समापन हुआ। इस बार मेले में लगभग दस लाख तीर्थयात्री और श्रद्धालु पहुंचे। यह 2019 में शुरू हुई कोविड-19 की चुनौतियों के बाद पहली बार आयोजित किया गया था।
धार्मिक अनुष्ठान के तौर पर 22 जून को ‘प्रवृत्ति’ के साथ मंदिर के दरवाजे प्रतीकात्मक रूप से चार दिनों के लिए बंद कर दिए गए थे। ‘अंबुबाची’ में अंबु का अर्थ जल और बाची का अर्थ उत्फूलन है। इस महीने के दौरान होने वाली बारिश पृथ्वी को उपजाऊ और तैयार करती है। मान्यताओं के अनुसार माता इस समय रजस्वला होती हैं इसलिए इस अवधि के दौरान दैनिक पूजा स्थगित कर दी जाती है।
कामरूप (एम) के अतिरिक्त उपायुक्त बिपुल दास ने असम वार्ता को बताया, शहर में नीलाचल की पहाड़ियों पर स्थित मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। हालांकि, किसी भी निजी वाहन या सार्वजनिक परिवहन की अनुमति नहीं थी। पांडु पोर्ट कैंप, मालीगांव और फैंसी बाजार, पुराने जेल परिसर में पहाड़ियों के नीचे शौचालय की सुविधा के साथ लगभग 30,000 भक्तों को रहने की क्षमता वाले तीन अस्थायी शिविर लगाए गए थे। कुछ गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों ने शहर के भरलुमुख और नर्सरी क्षेत्रों में साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए शिविर भी लगाए।
गुवाहाटी नगर निगम (जीएमसी) को मेले से पहले और उसके दौरान सफाई अभियान सौंपा गया था।
जीएमसी के आयुक्त देवाशीष शर्मा ने कहा, स्वच्छता इस वर्ष के अंबुबाची मेले के प्रमुख विषयों में एक थी। इसके लिए लगभग 750 सफाई मित्रों को नियुक्त किया गया था। मंदिर परिसर के अलावा, तीर्थयात्रियों के लिए स्थापित शिविरों में सफाई मित्रों को तैनात किया गया। शर्मा ने कहा कि कामाख्या मंदिर के आसपास कचरे के निपटान के लिए दो स्थिर कम्पेक्टर लगाए गए।
दास ने कहा कि चूंकि त्योहार के चार दिनों के लिए वाहनों की आवाजाही मंदिर तक सीमित थी, इसलिए प्रशासन ने सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए मंदिर परिसर में जाने के लिए फेरी कार सेवाओं की व्यवस्था की थी। यह रिपोर्टर भी ऐसी सेवा का लाभार्थी था।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के हाबरा गायघाटा से आए श्रद्धालु मृणाल कांति गुहा ने कहा, प्रशासन द्वारा लगाए गए कैंप में इस बार सुविधाएं बेहतर हैं। गैर सरकारी संगठनों द्वारा परोसा जाने वाला भोजन शाकाहारी है। चिकित्सा सुविधाओं के अलावा शिविर में पुलिस की निगरानी है। असम वार्ता ने 23 जून को जब उनसे संपर्क किया था, उन्होंने बताया था कि वह 2012 से मेले में आ रहे हैं। नंदन कुमार और बिहार के बेगूसराय से सात अन्य लोग उत्सव की शुरुआत से एक दिन पहले 21 जून को गुवाहाटी पहुंचे। नंदन कुमार ने असम वार्ता को बताया, यह शक्तिपीठ की मेरी पहली यात्रा है। मंदिर परिसर में मेरे जैसे तीर्थयात्रियों की विशाल भीड़ देखकर मैं चकित हूं। हम भोजन और ठहरने की व्यवस्था से खुश हैं। पुराने जेल परिसर में तैनात एक एसीएस अधिकारी दीपांकर बर्मन ने बताया कि वहां अधिकांश तीर्थयात्री पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड से थे। उत्तर प्रदेश के अयोध्या के एक साधु बिंदेश्वरी दास, 2007 से नियमति मेले में आ रहे हैं और वह भी प्रशासन की सुविधाओं से खुश थे।