• About
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Subscribe to Newsletter
Wednesday, March 22, 2023
No Result
View All Result
  • Login
Asom Barta
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
  • Archive
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
  • Archive
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About
No Result
View All Result
Asom Barta
No Result
View All Result
Home नज़रिया

छद्म संस्कृति के संकट

- जाह्नु बरुआ

August 2, 2022
in Hindi Edition, नज़रिया
0
0
छद्म संस्कृति के संकट

संस्कृति विचार के लिए एक बौद्धिक खुराक की तरह है, जो मानवता को जीवित रखती है। मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। लेकिन विकल्प दिया जाए तो वह आदर्श रूप से किसी भी भोजन की तुलना में स्वस्थ आहार पसंद करेंगे। दरअसल, एक स्वस्थ संस्कृति अच्छे भोजन के समान होती है, जबकि छद्म संस्कृति के रूप में सामने आने वाली गतिविधियों में मनुष्य और समाज के लिए जटिलताएं हो सकती हैं। यदि इसकी अच्छी तरह से खेती नहीं की गई, तो मानव मन एक फ्रेंकस्टीन राक्षस (फ्रेंकस्टीन राक्षस, मैरी शेली के अंग्रेजी उपन्यास का काल्पनिक चरित्र है) बन सकता है।

प्रौद्योगिकी के विकास ने संस्कृति सहित हमारे जीवन के सभी पहलुओं में व्याप्त गतिविधियों में तेजी ला दी है। यह चौंकाने वाला और हानिकारक है। यह एक अंतर को रोक रहा है जो सांस्कृतिक प्रथाओं और उससे मिलने वाली लाभकारी समझ व बड़े पैमाने पर इसके उपभोग के बीच होना चाहिए। माता-पिता और अभिभावकों के रूप में, हमारे बच्चों को स्वस्थ और संतुलित आहार प्रदान करना और उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मोटापे से ग्रस्त होने से रोकना हमारा कर्तव्य है। प्रभावी उपयोग के लिए, संस्कृति सभी सामाजिक कुरीतियों के लिए रामबाण है, लेकिन जब इसे छोड़ दिया जाता है तो यह हानिकारक होता है।

सदियों से सरकारें और राज्य अपने सर्वोत्तम ज्ञान में संस्कृति का संरक्षण करते रहे हैं और ऐसा ही इसके मानने वालों ने भी किया है। क्योंकि यह बीते समय में एक सुविचारित गतिविधि थी। संस्कृति का आत्मा पर लाभकारी प्रभाव पड़ा। औद्योगिक क्रांति के बाद, खासकर वैश्वीकरण के बाद जब से वाणिज्यिक ‘संस्कृति’ अस्तित्व में आई है, इसके प्रभाव में कमी आई है।
एक वैश्वीकृत दुनिया में, सरकार सांस्कृतिक क्षेत्र में केवल एक और कर्ता होती है। परंपरागत तौर पर बिना परिणाम की चिंता किए बस संस्कृति के संरक्षण का काम किया जा रहा है। इसलिए, आज हम अपने आस-पास जो देखते हैं वह एक अस्वास्थ्यकर फसल (परिणाम) और सामाजिक अराजकता है।

असम के महान सुधारक श्रीमंत शंकरदेव द्वारा दिखाया गया था कि कैसे बिना उपदेश के संस्कृति को वास्तविकता के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। 15वीं शताब्दी के मध्य में जन्में शंकर देव ने समाज का विस्तार से अध्ययन किया, जब अपने समय की सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकताओं के कारण किसी भी रूप में संस्कृति को बहुत सीमित संरक्षण प्राप्त था। उन्होंने आहोम साम्राज्य और उसके पड़ोसियों का अध्ययन किया। वह समझ सके थे कि सांस्कृतिक लहर के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र उस समय अस्तित्वहीन था। फिर वे उस पुनर्जागरण को समझने के लिए पश्चिम की ओर यात्रा करने के लिए निकल पड़े जिससे भारत के आसपास के अन्य क्षेत्र गुजर रहे थे। अपनी विद्वता के कारण वह यह जल्दी समझ गए कि धर्म का उपयोग लोगों के सभ्यतागत पहलुओं के प्राथमिक संबंध के रूप में किया जा रहा है।

नानक, चैतन्य, सूरदास, कबीर जैसे उनके समकालीन इस्लामिक आक्रमण के बाद एक अराजक समाज में व्यवस्था लाने के लिए धार्मिक विश्वासों का स्वतंत्र और प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहे थे। 8वीं शताब्दी के मध्य में, पूरे भारत में एक संगठित सामाजिक व्यवस्था में अस्थिरता ला दी थी। उन्हें जो मदद मिली वह यह थी कि दक्षिण भारत में 8वीं शताब्दी में भक्ति का पुनरुत्थान शुरू हो गया था, इसलिए बहुमत द्वारा इसकी स्वीकृति को वैध माना गया था। शंकरदेव के मामले में, लोगों को अहोम साम्राज्य में जाति और धार्मिक विश्वासों में विभाजित किया गया था, हालांकि यहां एक वैध राजनीतिक व्यवस्था थी। इसलिए उनका विचार आहोम साम्राज्य में एक सामाजिक लोकाचार लाना था, जिसमें उस समय के भारत की तुलना में एक अलग सामाजिक मिश्रण था।

जब वे अपनी उत्पादक और समृद्ध यात्रा से लौटे, तो उन्होंने धर्म को पूरी तरह से त्याग दिया। इसके बजाय, उन्होंने संस्कृति के रचनात्मक पहलुओं जैसे संगीत, नृत्य, गद्य, भाउना का उपयोग करने का फैसला किया ताकि लोग एक दूसरे से एक सार्वजनिक मंच पर जुड़ सकें। यहां एक ऐसा व्यक्ति था जिसके पास शायद ही कोई भौतिक संसाधन था, जिसने अकेले ही जनता को जोड़ा और उन्हें एकरूपता दी जो सदियों तक समय की कसौटी पर खरी उतरी।

इसके विपरीत, हमारे पास संस्कृति को बांटने के लिए बहुत सारे संसाधन हैं, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कि इस दिशा में कैसे अग्रसर हों।

मैं विशेष रूप से देश के युवाओं को, खासकर क्षेत्र को, यह समझाना चाहता हूं कि आपके लिए चुनने के लिए वहां बहुत सारे सांस्कृतिक भोजन हैं। किसी को अपने विकल्पों के बारे में विचारशील होना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि आपके पास बुफे है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको यह सब खाने की जरूरत है। आपको अपनी पसंद, मौसम, आदत और उपयुक्तता के अनुसार चुनने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। आपको तर्कसंगत और आलोचनात्मक विचारक होना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि आप सांस्कृतिक पूल में बिछाए गए व्यावसायिक जाल में फंस जाएंगे।

मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा, जो बहुत समीचीन है। भारत भर में फैले आकर्षक मॉल में, अधिकांश कंपनी “बाय-2-गेट -2” की नीति का प्रचार करते हैं। अंततः आप जल्दबाजी में आकर्षक झांसे में अपनी आवश्यकता से अधिक की खरीदारी कर लेते हैं। जब आप फुर्सत में होते हैं तो पछताते हैं। आपको पता होना चाहिए कि इस दुनिया में कोई ‘फ्री लंच’ नहीं होता है। इसलिए आपको पता होना चाहिए कि अपने आस-पास की सांस्कृतिक वस्तुओं की इस बिक्री में क्या ‘खपत’ करना है।

(लेखक 12 बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता व पद्मभूषण से सम्मानित फिल्म निर्माता हैं।)

ShareTweetShare

Related Posts

Ganga Vilas docks on Assam’s shore
खबरें राज्य से जुड़ीं

50 दिनों की यात्रा के बाद डिब्रूगढ़ पहुंचा एमवी गंगा विलास 

March 4, 2023
886
Assam’s Bihu shot at Guinness
खबरें राज्य से जुड़ीं

असम के बिहू की गिनीज की तैयारी

March 4, 2023
672
‘These two days are special’
खबरें राज्य से जुड़ीं

‘ये दो दिन हैं खास’

March 4, 2023
992
Yunus opens BTR Knowledge Fest
खबरें राज्य से जुड़ीं

यूनुस ने किया बीटीआर नॉलेज फेस्ट का उद्घाटन

March 4, 2023
1.2k
Vety Dept to be revamped : CM
खबरें राज्य से जुड़ीं

पशु चिकित्सा विभाग का होगा कायाकल्प : सीएम

March 4, 2023
1.4k
Over 41 lakh evaluated in Gunotsav 2023
खबरें राज्य से जुड़ीं

41 लाख से अधिक का गुनोत्सव 2023 में मूल्यांकन किया गया

March 4, 2023
1.3k
Load More

By Categories

  • Assam on the Move
  • Best Practices of the States
  • Border Vibes
  • Centre Connects
  • Citizen Corner
  • Economy & Finance
  • Editorial
  • English Edition
  • Entrepreneurship
  • Glimpses
  • Hindi Edition
  • INTERVIEW
  • LACHIT DIWAS SPECIAL
  • Lead Story
  • MLA's SPEAK
  • Musings of a Chief Minister
  • News From The State
  • Perspective
  • Special Feature
  • असम प्रगति के पथ पर
  • आमुख कथा
  • उद्यमिता
  • कानून व्यवस्था
  • केंद्रीय पहल
  • खबरें राज्य से जुड़ीं
  • जनसंपर्क
  • नज़रिया
  • बिधायक की राय
  • मुख्यमंत्री के विचार
  • राज्यों की बेहतरीन पहल
  • लाचित दिवस विशेष
  • वित्त एवं अर्थ व्यवस्था
  • विशेष आलेख
  • संपादकीय
  • सीमा विवादः पटाक्षेप का प्रयास
  • অনিৰুদ্ধ অসম
  • অন্যান্য ৰাজ্যৰ বাৰ্তা
  • অসমীয়া
  • উদ্যমিতা
  • কেন্দ্ৰ-ৰাজ্য সংবাদ
  • জনসম্পৰ্ক
  • দৃষ্টিভংগী
  • প্ৰথম পৃষ্ঠা
  • প্ৰথম বাৰ্তা
  • বিত্ত আৰু অৰ্থনীতি
  • বিধায়কৰ বাৰ্তা
  • বিশেষ বাৰ্তা
  • মুখ্যমন্ত্ৰীৰ বাৰ্তা
  • লাচিত দিৱস বিশেষ
  • সম্পাদকীয়
  • সাক্ষাৎকাৰ
  • সীমান্ত বাৰ্তা
Asom Barta

Asom Barta is Published and Distributed by Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

Our Social Media

  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Subscribe to Newsletter

© 2022 Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

No Result
View All Result
  • Home
  • Glimpses
  • Newsletter Download
    • Current Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • Last Month Issue
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta- Hindi
  • Archive
    • January 2023
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • December 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta -Hindi
    • November 2022
      • Asom Barta -English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • October 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • September 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • August 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • July 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • June 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
    • May 2022
      • Asom Barta – English
      • Asom Barta – Assamese
      • Asom Barta – Hindi
  • Editorial Board
  • Language
    • Assamese Edition
    • Hindi Edition
  • About

© 2022 Directorate of Information and Public Relations, Govt of Assam

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In