राज्य सरकार ने सत्ता में अपने कार्यकाल का पहला वर्ष ही पूरा किया है। लेकिन इस काल में ही असम की आर्थिक प्रगति की तेज रफ्तार को आसानी से इसकी प्रमुख उपलब्धियों के जरिये आंका जा सकता है। कोविड संकट से जूझते हुए भी राज्य में राजकोषीय प्रबंधन के जरिए कामयाबी की ऐसी मिसाल पेश की गई है कि जिसकी काल्पना भर से ही दूसरे राज्यों को ईर्ष्या होने लगेगी। असम के सकल राज्य घरेलू उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए ऋण और कमाई के दोहरे साधनों का इस्तेमाल बड़े ही विवेकपूर्ण तरीके से किया गया है।
राज्य सकल घरेलू उत्पाद ने पिछले वित्त वर्ष में 13.89 प्रतिशत की दो अंकों की वृद्धि दर्ज की थी, जब अधिकांश राज्य नकारात्मक सकल घरेलू उत्पाद से बचने के लिए संघर्ष कर रहे थे। राज्य सरकार का कुल खर्च पहली बार ऐतिहासिक रूप से एक लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया था।
मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले महीने असम विधानसभा में अपने भाषण में बताया था कि वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र से मिले 26,663 करोड़ रुपये और राज्यों के कर और गैर-कर राजस्व में बढ़त के दम पर ही उपलब्धि को हासिल किया जा सका है। उन्होंने कहा कि ये दिखाता है कि असम अब इस मामले में बड़ी लीग में प्रवेश कर चुका है।
उन्होंने कहा कि जहां पूंजीगत व्यय में 36 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है, वहीं राजस्व व्यय में 16% की काफी कम बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों का हवाला देते हुए डॉ सरमा ने बताया कि वित्त वर्ष 2015-2016 में राज्य में कुल पूंजीगत व्यय 2,951 करोड़ रुपये था जबकि 2021-22 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में यह 16,339 करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि असम को विकास पथ पर आगे बढ़ने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का जो महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है वह असम के लोगों की सामूहिक उपलब्धि है.
राजकीय कोष में वृद्धि और केंद्र द्वारा जीएसटी संग्रह में आई तेजी के परिणामस्वरूप असम के लिए हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। इसने छोटे कर्जों की माफी के अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए अपनी अरुणोदय योजना में अतिरिक्त सुविधाओं को जोड़ा। इससे कुल राहत में बढ़ोतरी मुमकिन हो सकी। इसका फायदा ये भी हुआ कि निवेश योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लाभ भी ज्यादा लोगों तक पहुंचा।
वित्त मंत्री ने अपने पहले बजट भाषण के दौरान कहा था कि,
“कोष प्रबंधन और समाज के सबसे कमजोर तबके को समर्थन देने के लिए आवंटन अभी भी सरकार का मुख्य फोकस है, इसके बाद क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश करना है।”
बजट के हिसाब से देखा जाए तो व्यय के अनुपात में 2015-16 के दौरान 63 फीसदी सुधार हुआ है और पिछले दो वित्तीय वर्षों में तो ये 80 फीसदी से भी अधिक हो गया है।
आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करने के लिए 2021-22 के दौरान असम सरकार ने कई पूंजी के लिहाज से कई बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने का फैसला लिया। ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ स्वास्थ्य और शिक्षा, ग्रामीण संपर्क, कृषि और सहायक गतिविधियों जैसे क्षेत्रों में नाबार्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट असिस्टेंस (NIDA) के तहत 11,100 करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं।
असम सरकार की नीति तीन व्यापक क्षेत्रों को ध्यान में रखकर बनाया गया एक सुधार का एजेंडा है। ये क्षेत्र हैं – व्यापार को बढ़ावा देना, निवेश बढ़ाना और रोजगार पैदा करना। लगातार और गंभीर जलवायु संबंधी झटकों के लिए लचीलापन बढ़ाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हरित पहल के लिए निर्धारित रकम को तय करना और सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के प्रयासों को साथ लाना और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए कृषि और पर्यटन क्षेत्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना।